सीरिया के गृह युद्ध में तुर्की को भागीदारी के कारण कई वर्षो से अफरा तफरी का माहौल है तथा सीरिया जाने वाले विदेशी लड़ाकों के लिए अपनी सीमाएँ खोलने का कारण इस्लामिक स्टेट को वढ़ावा दिया है जो कि लगातार तुर्की पर हमले कर रहा है यही कारण है कि वर्ष 2015 में कुर्द चरमपंथियो के साथ लड़ाई दोबार भड़क उठी थी और इस गमी में तुर्की को तख्तापलट की नाकाम कोशिश का सामना करना पड़ था तुर्की के राष्ट्रपति तेएप एर्दोगन के खिलाफ नाकाम तख्तापलट करने वाला मुस्लिम प्रचारक फतेउल्ला गुलेन जो की पेनसिल्वेनिया में निर्वासन है लेकिन तख्तापलट के इस प्रयास के बाद गुलेन के हजारो समर्थको जिनमे पुलिस अधिकारी, सैनिक, शिक्षक और नौकरशाह भी सामिल थे।
जब तुर्की तथा रुस में करीबी बढ़ रही थी अन्यथा इससे पहले एर्दोगन सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को सीरिया की सत्ता से बेदखल किये जाने का समर्थक कर रहे थे इसी के साथ रुस असद का सबसे विश्वसनीय सहयोगी तथा समर्थक है।.[1][2]
अंकरा की आर्ट गैलरी में रुस के राजदूत की यह कहते हुए हत्य करदी गयी की वह सीरिया के शहर अलेप्पो में सीरियाई मुस्लिम नागरीको की हत्या की जा रही और रुस सीरिया पर बमवारी का बदला ले रहा है।[3][4]
तुर्की में आंतकवाद के बढ़ते खतरे के कारण पश्चिमी देशों से आने वाले पर्यटको की संख्या निरन्तर कम होती जा रही है लेकिन पश्चिम एशिया से वर्तमान समय भी पर्यटन आ रहे हैं शायद इसी कारण हमलो में मारे गये और पीड़ीत लोगो में इजराइल, जार्डन, लेबनान, सऊदी अरब, ट्यूनिशिया, के साथ ही बेल्जियम, फ्रांस और भारत के पर्यटक भी शामिल है।
9 जनवरी 2018 को, अपने सत्तारूढ़ एके पार्टी को संसदीय पता देते हुए राष्ट्रपति रसेप तय्यिप एर्दोगान ने कहा कि तुर्की सीरिया के अफ्रिन और मानबीज क्षेत्रों में अपना सैन्य अभियान जारी रखेगा।.[5]
20 जनवरी 2018 को, तुर्की सेना ने सीरिया के अफ्रिन क्षेत्र में एक हस्तक्षेप शुरू किया, तुर्की द्वारा कोड-नामित ऑपरेशन ऑलिव शाखा (तुर्की: ज़ैतिन दल्ली हरेकति)।
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