सुजानपुर टीहरा | |||
— town — | |||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||
देश | भारत | ||
राज्य | हिमाचल प्रदेश | ||
ज़िला | हमीरपुर | ||
जनसंख्या | 7,077 (2001 के अनुसार [update]) | ||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
• 562 मीटर (1,844 फी॰) | ||
विभिन्न कोड
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निर्देशांक: 31°50′N 76°30′E / 31.83°N 76.50°E सुजानपुर टीहरा, हिमाचल प्रदेश प्रान्त के हमीरपुर जिले में एक नगर पंचायत है। यह स्थान एक जमाने में कटोक्ष वंश की राजधानी थी। यहां बने एक प्राचीन किले को देखने के लिए लोगों का नियमित आना जाना लगा रहता है। यहां एक विशाल मैदान है जिसमें चार दिन तक होली पर्व आयोजित किया जाता है। यहां एक सैनिक स्कूल भी स्थित है। धार्मिक केन्द्र के रूप में भी यह स्थान खासा लोकप्रिय है और यहां नरबदेश्वर, गौरी शंकर और मुरली मनोहर मंदिर बने हुए हैं।
31°50′N 76°30′E / 31.83°N 76.50°E और 562 मीटर (1,844 फुट) की औसत ऊँचाई पर स्थित है।
घरों की संख्या - 1422
जनसंख्या, कुल - 7,077
जनसंख्या शहरी - 7,077
शहरी जनसंख्या (%) का अनुपात - 100
आबादी ग्रामीण - 0
लिंग अनुपात - 824
जनसंख्या (0-6 वर्ष) - 766
लिंग अनुपात (0-6 वर्ष) - 824
अनुसूचित जाति जनसंख्या - 1,548
लिंग अनुपात (एससी) - 942
अनुसूचित जाति के अनुपात (%) - 22.0
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या - 8
लिंग अनुपात (अनुसूचित जनजाति) - 0
अनुसूचित जनजाति के अनुपात (%) - 0
साक्षर - 5,639
निरक्षर - 1,438
साक्षरता दर (%) - 89.0
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छोटे से ऐतिहासिक कस्बे सुजानपुर टीहरा में स्थापित भारत का 18वां सैनिक स्कूल आज देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में शुमार हो चुका है। इस समय भारत में कुल 23 सैनिक स्कूल हैं, जो कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के तहत आते हैं। 2 नवम्बर 1978 को स्थापित सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा एनडीए परीक्षा में लगातार शानदार परिणाम देता रहा है। इस कारण यह संस्थान रक्षा मंत्रालय द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है। स्कूल का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ॰ नीलम संजीव रेड्डी ने किया था। शांति काल का सवोर्च्च वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र (मरणोपरांत) पाने वाले मेजर सुधीर वालिया इस स्कूल के दूसरे बैच के छात्र थे। कारगिल युद्ध में वीर चक्र पाने वाले मेजर संजीव जाम्वाल इसी स्कूल के नौवें बैच के छात्र रहे हैं। यह स्कूल हिमाचल के महाराजा संसार चंद की याद भी दिलाता है, जो अठारहवीं सदी में सुजानपुर के मैदान में अपने सैनिकों को ट्रेनिंग देते थे।
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