18 अगस्त 1945 के बाद का सुभाषचन्द्र बोस का जीवन और मृत्यु आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। 18 अगस्त 1945 को उनके अतिभारित जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी।[1] उसमें नेताजी मृत्यु से सुरक्षित बच गये थे या नहीं, इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है।[2][3][4] हालाँकि, उनके अधिकतर समर्थक, मुख्यतः बंगाल में, इस समय को तथ्यहीन और मृत्यु के कारण नहीं होना बताकर अस्वीकार करते हैं।[5][6][7] उनके निधन के कुछ ही घण्टों में षड्यन्त्रकारी सिद्धान्त प्रकट होने लगे और तत्पश्चात लम्बी अवधि तक जारी रही[8] एवं बोस के बारे में सामरिक मिथकों को अस्तित्वमय बनाते रहे।[9] स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार जाँच के लिए तीन बार आयोग गठित किये जिनमें से दो ने विमान दुर्घटना में मौत की पुष्टि की लेकिन तीसरे के अनुसार बोस ने अपने आप को नकली मौत दी।[उद्धरण चाहिए] उनकी मृत्यु के कारणों की नए सिरे से जाँच की माँग कुछ राजनीतिक दलों द्वारा की जाती है।[10]