सूत्रवाक्य या तकिया कलाम[1] एक ऐसे वाक्य या वाक्यांश को बोलते हैं जो बार-बार किसी व्यक्ति या चीज़ के सन्दर्भ में सुने जाने से लोक संस्कृति में पहचाना जाने लगता है। दूसरे शब्दों में यह केवल एक वाक्य न रह के एक सूत्र बन गया हो। मसलन, "कुत्ते-कमीने, मैं तेरा ख़ून पी जाऊँगा" हिन्दी फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र का तकिया कलाम माना जाता है। सूत्रवाक्य और नारों में एक समानता यह है कि दोनों के शब्दों को बहुत से लोग पहचानते हैं, लेकिन एक अंतर यह है के नारों का मक़सद लोगों को किसी कार्य को करने के लिए उत्तेजित करना होता है, जबकि यह किसी तकिया कलाम के साथ ज़रूरी नहीं है। इंदिरा गांधी का "ग़रीबी हटाओ" नारा भी था और उनका तकिया कलाम भी था।
यॅस वी कैन (हाँ, हम कर सकते हैं) - बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति बनाने के अभियान में प्रयोग किया गया नारा, जो उनका तकिया कलाम बन गया था
हम देखेंगे - राजीव गाँधी अपने भाषणों में यह शब्द अक्सर बहुत दफ़ा प्रयोग किया करते थे और यह उनकी पहचान का हिस्सा बन गए
हास्टा ला विस्टा, बेबी (अलविदा, प्यारे) - हॉलीवुड अभिनेता अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर ने अपनी एक फ़िल्म में दुश्मनों को उड़ाते हुए यह कुछ ऐसे बोला के यह जुमला लोक संस्कृति का हिस्सा बन गया
मेरे पास माँ है - फ़िल्म दीवार का यह वाक्य करोड़ों लोगों द्वारा पहचाना जाता है थूक उच्चता के