प्रार्थना का दूसरा रूप स्तुति कहलाता है। प्रार्थना साधारण रूप में की जाती है जबकि स्तुति करने के लिये पहले सभी तरह की पूजा अर्चना कर ली जाती है और बाद में स्तुति की जाती है।