हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी | |
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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी का पोस्टर | |
निर्देशक | सुधीर मिश्रा |
लेखक |
सुधीर मिश्रा, रुची नारायण |
निर्माता | रंगीता प्रीतिश नंदी |
अभिनेता |
शाइनी आहूजा, चित्रांगदा सिंह शिल्पा शुक्ला |
छायाकार | रवि के. चंद्रण |
संगीतकार | शांतनु मोइत्रा |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी (अंग्रेजी; Hazaaron Khwaishein Aisi) हिंदी-अंग्रेजी भाषा में बनी, राजनीतिक एवं प्रेम आधारित भारतीय फ़िल्म हैं जिसका निर्देशन तथा निर्माण सुधीर मिश्रा ने वर्ष २००३ में किया था, मगर प्रदर्शित २००५ में हुई।
फ़िल्म के बैकड्राॅप में भारतीय आपातकालिन समय को दर्शाया गया हैं, जिसे फ़िल्म में १९७० के दशक के तीन महत्वाकांक्षी युवाओं द्वारा बयान किया गया है, जब भारत के अंदरूनी सामाजिक एवं राजनीतिक तौर व्यापक पैमाने पर बदलावो रहें थे। फ़िल्म का शीर्षक मशहूर उर्दू शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की लिखी शायरी से लिया गया गया है।
फ़िल्म को ६ माह तक विभिन्न १२ फ़िल्म उत्सवों में प्रदर्शित किया गया जिनमें टर्की, एस्टोनिया, रिवर टू रिवर (फ्लोरेंस), बर्लिन, एडिनबर्घ, वाशिंगटन, गोवा, बाइट द मैंगो (ब्रैडफाॅर्ड), काॅमनवेल्थ (मैनचेस्टर), इंडिया (लाॅस एंजिल्स), डालास, एवं पैसिफिक रिम (कैलिफोर्निया) आदि शामिल रहें।[1]
यह चलचित्र एक आदर्शवाद और वास्तविकता के बीच के संघर्ष को प्रस्तुत करता है। इस चलचित्र मैं विक्रम एक गाँधीवादी कांग्रेस के नेता का पुत्र होते है और सिद्धार्थ एक न्यायाधीश के पुत्र होते हैं। दोनों एक ही कॉलेज में पढते है और दोनों को गीता से प्रेम होत है। सिद्धार्थ बाद मैं नक्सलवादी आन्दोलन को समर्थन करने के लिए बिहार में चला जाता है। विक्रम राजनीतिक पार्टियों और व्यापारी संगठनों की तिकड़मबाजी में सहयोग से आर्थिक रूप से सफल होता हैं।
यह एक हिंदी सिनेमा के चलचित्र होकर भी इस चलचित्र का ज्यादातर संवाद अंग्रेजी भाषा में है।