हमारी देवरानी | |
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चित्र:HamariDevraniSerial.jpg | |
शैली | नाटक |
निर्माणकर्ता | शोभना देसाई |
लेखक | राकेश पासवान अमिताभ सिंह |
स्क्रीनप्ले | मृणाल त्रिपाठी अमिताभ सिंह भावना व्यास |
निर्देशक | संतोष भट्ट
पवन साहू विक्रम लभे स्वप्निल महालिंग सूरज राव प्रवीण सुडान |
रचनात्मक निर्देशक | सुनील त्यागी |
अभिनीत | नीचे देखें |
प्रारंभ विषय | गौरांग व्यास |
मूल देश | भारत |
मूल भाषा(एँ) | हिन्दी |
सीजन की सं. | 2 |
एपिसोड की सं. | 951 |
उत्पादन | |
कार्यकारी निर्माता | रीना मांजरेकर |
निर्माता | शोभना देसाई |
उत्पादन स्थान | अहमदाबाद, गुजरात, भारत |
छायांकन | अनिल मिश्रा |
संपादक | जस्करन सिंह रजनीकान्त सिंह इंडेर्जित सिंह सत्यप्रकाश सिंह |
कैमरा स्थापन | बहू कैमरा |
उत्पादन कंपनी | शोभना देसाई |
मूल प्रसारण | |
नेटवर्क | स्टार प्लस |
प्रसारण | 26 मई 2008 – 3 फरवरी 2012 |
हमारी देवरानी भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, जिसका प्रसारण स्टार प्लस पर 26 मई 2008 से 3 फरवरी 2012 तक हुआ। यह धारावाहिक दो संस्करण में बना। जिसमें कुल 951 प्रकरण शामिल है। इसका निर्माण सोभना देसाई ने किया है। इसके निर्देशक पवन साहू, विक्रम लभे, स्वप्निल महालिंग, सूरज राव और प्रवीण सुडान रहे हैं।[1]
यह कहानी अहमदाबाद में स्थित नानावती परिवार की है, जो आपस में प्यार से रहते हैं।
भक्ति (कृष्णा गोकनी) एक गरीब लड़की जो गुजरात के एक छोटे से गाँव में रहती है। उसके साथ हमेशा बुरा होता है। जब उसका जन्म होता है तो उसकी माँ की मौत हो जाती है। उसके पिता उसका चेहरा तक देखना नहीं चाहते हैं। काशीबेन उसका लालन पालन करती है। उससे सब दूर रहते हैं क्योंकि सभी को लगता है की उसके पास कोई भी रहेगा तो उसके साथ भी बुरा हो। इस कारण उसके कोई भी मित्र नहीं बनते हैं। वह अकेले रहने लगती है और सभी से घबराए हुए रहती है। वह बचपन से ही कृष्ण भगवान की पुजा करती है। काशीबेन उसे एक दिन अहमदाबाद ले जाती है जहाँ उसके पिता रहते हैं। उसके पिता ने दूसरी शादी कर लिए होते हैं और उसकी दूसरी पत्नी भक्ति को इधर उधर की बातें सुना कर घर से बाहर कर देती है।
इसी दौरान अहमदाबाद में उसे एक अमीर नानावती परिवार मिलता है। जिसकी मुख्य देवकीबेन होती है। वह एक विधवा औरत है, जिसके छः बच्चे और पाँच नातिन रहते हैं। देवकी बेन का सबसे छोटा बच्चा ऐसी लड़की से शादी करना चाहता है, जिसे किसी पैसे जायदाद की इच्छा न हो और जो वह कहे वैसे ही वह कार्य करे। भक्ति को उसके परिवार वाले मन्दिर में देखते हैं और वह उन्हे पसंद आती है। उसके बाद भक्ति की शादी मोहन से हो जाती है। लेकिन राजेश्वरी मोहन और भक्ति को तंग करती है। लेकिन अंत में मोहन और भक्ति एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं और बुराई की हार हो जाती है।
तभी एक किरदार पद्मिनी आती है जो सात वर्ष की शिखा को मोहन की बेटी बताती है। पद्मिनी मोहन से शादी करना चाहती है, जिससे वह नानावती परिवार का सारा धन ले सके। जब बच्ची की सच्चाई सामने आ जाती है तो वह भक्ति का अपहरण कर लेती है और मोहन को उससे शादी के लिए मजबूर करती है। लेकिन पुलिस भक्ति को पद्मिनी के जाल से छोड़ा लेती है और पद्मिनी को पकड़ लेती है।