हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान हरीशचंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट पूर्वनाम:मेहता अनुसंधान संस्थान | |
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चित्र:Harishchandra mehta institute allahabad.jpg | |
स्थापित | १९६६ |
प्रकार: | अनुसंधान संस्थान |
निदेशक: | पिनाकी मजूमदार 10 अप्रैल 2017 से |
स्नातकोत्तर: | ४० स्नातक छात्र एवं २० डॉक्टोरल फेलोज़ |
अवस्थिति: | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
परिसर: | ग्रामीण |
जालपृष्ठ: | www.hri.res.in |
Harishchandra mehta institute logo.jpg | |
हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान (अंग्रेज़ी: हरीशचंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद में स्थित एक अनुसंधान संस्थान है।[1] इसका नाम प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ हरीशचन्द्र के नाम पर रखा गया है। यह एक स्वायत्त संस्थान है, जिसका वित्तपोषण परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार द्वारा किया जाता है। यहां विभिन्न संकायों के ३० के लगभग सदस्य हैं। इस संस्थान में गणित एवं सैद्धांतिक भौतिकी पर अनुसंधान के विशेष प्रबंध हैं।
इसकी स्थापना १९६६ में बी.एस. मेहता न्यास, कोलकाता द्वारा वित्तदान के द्वारा हुई थी। इसका पूर्व नाम अक्टूबर २००१ तक मेहता अनुसंधान संस्थान था। वर्तमान निदेशक श्री. अमिताव रायचौधरी हैं।
१० अक्टूबर २००० तक यह संस्थान मेहता गणित एवं गणितीय भौतिकी अनुसन्धान संस्थान के नाम से जाना जाता था। ११ अक्टूबर २००० को इसका नाम बदल कर स्वर्गीय प्रोफ़ेसर हरीश चन्द्र के नाम पर हरीश चन्द्र अनुसन्धान संस्थान रख दिया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लब्ध प्रतिष्ठित गणितज्ञ डॉ॰ वी. एन. प्रसाद ने इस संस्थान के लिये एक बडी अभिदान राशि और कुछ जगह जुटाने के एक कठिन कार्य को पूरा करने का प्रयास किया। बी० एस० मेहता न्यास कलकत्ता, ने सहायता की जिससे इस संस्थान का इलाहाबाद से अपनी शैशव अवस्था से काम शुरु कर सकना निश्चित हुआ। डॉ॰ प्रसाद का जनवरी 1966 में देहांत हो गया और उसके बाद इसकी बागडोर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उनके शागिर्द डॉ॰ एस० आर० सिन्हा ने संभाली। इस संस्थान के प्रथम निर्देशक के रूप मे पद-भार ग्रहण करने के लिये राजस्थान विश्वविद्यालय के भूतपूर्व उप-कुलपति और संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रोफ़ेसर पी० एल० भटनागर को आमंत्रित किय गया। अपने कार्य-काल में उन्होने इस संस्थान को एक नया जीवन दिया और देश के विख्यात गणितज्ञों के बीच एक अमिट छाप छोडी। यद्यपि, प्रोफ़ेसर भटनागर अधिक समय तक जीवित नहीं रह सके और अक्टूबर 1976 में उन्की मृत्यु के बाद संस्थान के उत्तरदायित्व का भार एक बार पुन: डॉ॰ सिन्हा के कंधों पर आ गया।
जनवरी 1983 में बम्बई विश्वविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफ़ेसर और गणित एवं सांख्यिकी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफ़ेसर एस० एस० श्रीखडें, ने इस संस्थान के अगले निर्देशक के रूप मेम कार्य-भार संभाला। इनके ही कार्य-काल में परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ चल रही बातचीत एक निर्णायक मोड पर पहुंची और परमाणु ऊर्जा विभाग ने इस संस्थान के भविष्य के बारे में अध्ययन करने के लिये पुनरीक्षा समिति का गठन किया।
इस संस्थान के इलाहाबाद से बाहर जाने की संभावनाएं अंततः खत्म कर दी गयीं और जून 1985 में, उत्तर प्रदेश के तत्कलीन मुख्यमन्त्री ने इस मामले में दखल कर मुफ़्त में पर्याप्त भू-खण्ड उपलब्ध कराने के लिये सहमति दी। परमाणु ऊर्जा विभाग ने आवर्तक और अनावर्तक दोनो तरह के व्यय को पूरा करने के लिये वित्तीय सहायता का वादा किया। प्रो॰ श्रीखंडे सन 1986 में सेवा-निवृत्त हो गये। संस्थान के लिये ज़मीन हासिल करने के प्रयास जारी रहे और अंततः जनवरी 1992 में इलाहाबाद में झूंसी नामक स्थान पर लगभग 66 एकड ज़मीन प्राप्त कर ली गयी। प्रो॰ एच० एस० मणि ने जनवरी 1992 में इस संस्थान के नये निर्देशक के रूप में कार्य-भार संभाला और उनके आने से संस्थान की अकादमिक और अन्य गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला।
इस संस्थान का पुस्तकालय इस क्षेत्र के सबसे सुसज्जित साधन-संपन्न पुस्तकालयों में से एक है। यह संस्थान के अकादमिक और अनुसन्धान कार्यक्रमों को अनिवार्य सहायता कराता आ रहा है। यह पुस्तकालय हमेशा की तरह पूरे वर्ष 360 दिन सुबह 8 बजे से लेकर 2 बजे तक खुला रहता है। रविवार और राजपत्रित अवकाश के दिनों यह पुस्तकालय सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। 1 अप्रैल 2001 से लेकर 31 मार्च 2002 तक की अवधि के दौरान 531 पुस्तकों और 1122 जिल्द-बन्द जर्नलों के खण्डों सहित कुल 1653 खण्ड इस पुस्तकालय में वर्तमान में 205 जर्नल मंगाय जा रहे है। यहाँ से ऑन लाइन द्वारा कई एसे जर्नलों तक पहुंचा जा सकता है जिनका यह पूर्व क्रेता रह है। यह पुस्तकालय मैथसाइनैट का भी पूर्व क्रेता रह है। पिछ्ले वर्ष हम पुस्तकालय में भी इलैक्ट्रानिक्स साधनों को बढाने के प्रयास करते रहे है। समीक्षाधीन वर्ष के दौरान हमने आंतर्राष्ट्रीय शोध केन्द्रो और सोसायटियों के लब्ध- प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा दिये गये विशिष्ट व्याख्यानों के 21 विडियो कैसेट मंगाए है। इन्हें पुस्तकालय की श्रव्य-दृश्य इकाइयों में देखा जा सकते है। इसी प्रकार की जानकारी सीडी रोम और डिस्कीटों पर भी उपलब्ध है। हमारी योजना इस तरह की सामग्री को संबर्धित करने की है ताकी इसका इस्तेमाल हमारे शिक्षण और शोध कार्यक्रमों के स्म्पूरक के रूप में किय जा सके। इस पुस्तकालय मे सभी विशेषताओं से युक्त लाइब्रेरी सौफ़्ट्वेयर पैकेज का इस्तेमाल किय जा रह है जिसे इस संस्थान के कार्यालय स्वचलन परियोजना के एक भाग के रूप में यहीं पर विकसित किय गय था। इस सफ़्ट्वेयर में एच०टी०एम०एल० इंटरफ़ेस है जिससे यह इंटरनेट के साथ-साथ इंटरनेट प्रयोक्ताओं के लिये भी सुलभ है। इसके एकीकृत वातावरण में सूची बनाने, आवधिक पत्रिकाओ का अधिग्रहण करने और प्रचालन के मौड्यूलों की सुविधा है। जो पुस्तकालय के लगभग सभी कार्यो को संचालित करते है। ऑन लाइन संसाधनों की मदद से कोई भी प्रयोक्ता किसी भी ज़रूरत के लिये ऑन लाइन पूर्व क्रय किये जर्नलों तक पहुंचने के अलावा पुस्तकालय के डेटा बेस की पूछताछ भी कर सकता है। यह पुस्तकालय फ़ोटो कापी और डाक प्रभार लेकर संस्थान के बाहर के व्यक्तियों को ज़रूरत पडने पर दस्तावेज सुपुर्दगी सेवा (ज़िराक्स प्रतियां) भी लगातार प्रदान करता रहा है।
एच० आर० आई० संस्था में सर्वोच्च उपाधि के पाठ्यक्रम है। यहाँ छात्रों को पी० एच० डी० की सुविधा है। यह उपाधि इलाहाबाद विश्व विधालय द्वारा मान्यता प्राप्त है। यहाँ JEST टेस्ट एंव साक्षात्कार द्वारा चुने गये अभ्यार्थीयों को ही स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया। एक वर्ष की कठिन पाठ्यक्रम को करने के बाद ही शोध कार्य प्रारम्भ कर पाता है जो कि 4 से 5 वर्ष तक जारी रहता है। चुने गये अभ्यार्थियों को ही जूनियर रिर्सच फेलोशिप (JRF's) और होस्टल की सुविधा प्रदान की जाती है।
इस संस्था में भौतिकी एंव गणित दोनों में अतिथि विधार्थी पाठ्यक्रम चल रहें है। गणित पाठ्यक्रम अधिक तर ग्रीष्मकाल में आयोजित किये जाते है, जबकि भौतिकी पाठ्यक्रम विधार्थी एंव अध्यापकों की आपसी सुविधानुसार आयोजित किये जाते है।
यहाँ पी० एच० डी० गणित एंव भौतिकी (सैध्दातिक भौतिकी और ब्रह्मान्डिकी-भौतिकी) हेतु आवेदन पत्र अत्यधिक उच्च स्तरिय अकदमिक रिकार्ड वाले अध्यापकों द्वारा मान्यता प्राप्त ही स्वीकार है। अभ्यार्थी (JEST's) तथा साक्षात्कार द्वारा ही चुने जाते है।
संस्थान में अतिथि विधार्थी पाठ्यक्रम चलता है। जिसकी योग्यता है विज्ञान स्नातकोत्तर, प्रौद्योगिकी स्नातक एवं विज्ञान स्नातक- अंतिम वर्ष। चुने हुये विधार्थी भौतिकी क्षेत्र में अपने अध्यापकों या पोस्ट डाक्टोरल फेलों के निर्देशन में कार्य करते है। अपने प्रोजेक्ट के अन्त में विधाथियों के लिये सेमीनार का प्रवाधान है। जिन भागीदारों का कार्य सबसे अच्छा होता है उन्हें आगे पी० एच० डी० के लिए चुना जा सकता है। चुनने का आधार विधार्थी का अकादमिक रिकार्ड तथा रिकमेन्डेशन लैटर है। अतिथि विधार्थियों पूरे वर्ष में अपनी सुविधानुसार कम से कम चार हफ्ते तक यहाँ रुक सकते है। चुने हुए विधार्थीयों को Rs. 3000.00 प्रत्येक माह स्टाइपेन्ड तथा द्वितीय श्रेणी शयनयान का किराया दिया जाता है तथा होस्टल में रहने की सुविधा दी जाती है।
यहाँ प्रत्येक ग्रीष्मकाल में वीजिटिंग स्टूडेन्ट समर प्रोग्राम (V.S.S.P.) अन्डरग्रेजुएट (B.Sc.,M.Sc.) के विधार्थियों चलाए जाते है। इस पाठ्यक्रम के लिये चुने गये विधार्थियों के गणित के क्षेत्र में 4 -7 हफ्ते तक कुछ विषेश लेक्चर्स का आयोजन किया जाता है।
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |archivedate=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)