हलचल | |
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हलचल का पोस्टर | |
निर्देशक | प्रियदर्शन |
लेखक | के॰ पी॰ सक्सेना (संवाद) |
पटकथा | नीरज वोरा |
कहानी | सिद्दिकी |
निर्माता |
रतन जैन गणेश जैन |
अभिनेता |
अक्षय खन्ना, करीना कपूर, अरशद वारसी, अमरीश पुरी, परेश रावल, जैकी श्रॉफ |
छायाकार | जीवा |
संपादक | अरुन कुमार |
संगीतकार | विद्यासागर |
प्रदर्शन तिथियाँ |
26 नवंबर, 2004 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
हलचल 2004 में बनी हिन्दी भाषा की हास्य प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन प्रियदर्शन ने किया और यह 1991 की मलयालम फिल्म गॉडफादर की रीमेक है। फिल्म में अक्षय खन्ना, करीना कपूर, अरशद वारसी, सुनील शेट्टी, अमरीश पुरी, परेश रावल, जैकी श्रॉफ, अरबाज़ ख़ान, शक्ति कपूर, फरहा नाज और लक्ष्मी समेत कलाकार शामिल हैं।
बीस साल पहले की बात है। अंगारचंद (अमरीश पुरी) भारत के एक छोटे से शहर में अपनी पत्नी, पार्वती और चार बेटों, बलराम (जैकी श्रॉफ), किशन (परेश रावल), शक्ति (अरबाज़ ख़ान) और जय (अक्षय खन्ना) के साथ एक अच्छी जिंदगी बिता रहा था। बलराम की उम्र शादी के लायक हो चुकी थी और उसे लक्ष्मी देवी (लक्ष्मी) की बेटी से प्यार हो जाता है। वो भी बलराम से प्यार करते रहती है। पर लक्ष्मी देवी को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। अंगारचंद उन दोनों की शादी का आयोजन करता है, तब शादी के दिन लक्ष्मी अपने बेटों, सूरजभान और प्रताप से अपनी बहन को जबरदस्ती लाने को कहती है। इसी दौरान लक्ष्मी का पति गुस्से में बलराम को गोली मारता है, पर गोली उसे न लग कर पार्वती को लग जाती है और उसकी मौत हो जाती है। इसी के साथ लक्ष्मी अपनी बेटी की शादी काशीनाथ (शक्ति कपूर) से करा देती है। अंगारचंद अपनी पत्नी के मौत का बदला लेने के लिए लक्ष्मी के पति को बीच सड़क में मार देता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है। उसे 14 साल की सजा हो जाती है। जब वो घर वापस आता है तो वो घर में औरतों के आने पर प्रतिबंध (रोक) लगा देता है और साथ ही अपने बेटों को भी कभी शादी न करने को कहता है।
वर्तमान में लक्ष्मी की पोती, अंजलि (करीना कपूर) उसी कॉलेज में पढ़ती है, जिस कॉलेज में जय पढ़ाई करता है। अंगार और उसके परिवार वालों को पता चलता है की अंजलि की शादी उस राज्य के गृह मंत्री से होने वाली है। अंगार उसकी शादी तोड़ने की कोशिश करता है और उस मंत्री पर राजनीतिक दबाव डाल कर ऐसा करने में सफल भी हो जाता है। सगाई टूटने के बाद जब अंजलि वापस कॉलेज आती है तो वहाँ उसे जय परेशान करने लगता है। लक्ष्मी उसे कहती है कि वो किसी तरह जय को अपने प्यार के जाल में फंसा ले, ताकि उसके परिवार में दरार पैदा हो सके। अंजलि उसके साथ प्यार का नाटक करने लगती है। पहले तो जय सीधे सीधे इंकार कर देता है, पर उसे सबक सीखाने के लिए वो प्यार का नाटक करने लगता है। प्यार का नाटक करते करते, दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है। जय अपनी शादी कराने के चक्कर में अपने बड़े भाइयों की शादी पहले कराने की सोचता है, लेकिन कोई भी भाई उसकी शादी वाली बात नहीं मानता है।
जय का दोस्त, लकी (अरशद वारसी) उससे कहता है कि किशन की पहले ही शादी हो चुकी है। उसने सात साल पहले गोपी (फरहा नाज़) से शादी कर ली थी और उसकी दो संताने भी हैं। जय अपनी शादी के लिए किशन से मदद मांगता है, पर गलती से ये बात अंगार को पता चल जाती है। किशन की शादी का जय समर्थन करता है, इस कारण किशन के साथ साथ जय को भी वो घर से बाहर कर देता है। लक्ष्मी अपनी पोती, अंजलि की शादी एक वकील के बेटे (शरद केलकर) से तय कर देती है। जब परिवार वालों को जय और अंजलि के प्यार के बारे में पता चलता है तो अंगार से मिलने प्रताप और सूरजभान आ जाते हैं। वो उससे जय को शादी से दूर रखने के बारे में कहते हैं। अंजलि की शादी में वीरू (सुनील शेट्टी) की मदद से जय, किशन, गोपी और लकी आ जाते हैं। जय दूल्हे का कपड़ा पहन कर आ जाता है। मंगलसूत्र डालने से पहले ही ये पता चल जाता है कि वो जय है। इसके बाद वो कहता है कि जब तक उसके पिता नहीं कह देते, तब तक वो मंगलसूत्र नहीं पहनाएगा।
बलराम, जो पिछले कई बार अपने पिता का समर्थन करते रहता है, वो जय से मंगलसूत्र को पहनाने बोलता है। जय को रोकने का बहुत प्रयास होता है, पर अंत में दोनों शादी कर लेते हैं। अंजलि अपनी नानी से झगड़ा बंद करने को कहती है और वहीं जय अपने पिता से माफ करने का निवेदन करता है। अंगारचंद उस शादी से अचानक बाहर चले जाता है। अंगारचंद के चारों बेटे और दो बहुएँ उस गेट के पास जाती हैं। अंगारचंद वहाँ से बोर्ड हटा देता है और उनसे कहता है कि अब औरतों का भी परिवार में स्वागत है। इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।
सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत विद्यासागर द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायन | अवधि |
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1. | "इश्क़ में प्यार में" | अलका याज्ञनिक, शान | 4:57 |
2. | "देखो जरा देखो" | उदित नारायण, कुणाल गांजावाला | 5:47 |
3. | "रफ़्ता रफ़्ता हौले हौले" | उदित नारायण, सुजाता मोहन | 5:17 |
4. | "ली हमने थी कसम" | हरिहरन | 4:49 |
5. | "लुट गई लुट गई" | गायत्री, सयानोरा फिलिप, पूर्णिमा, राज लक्ष्मी | 5:18 |
6. | "हम दिल के पन्ने पे" | शान, साधना सरगम | 4:56 |
यह फ़िल्म एक मराठी फिल्म घायाळ से प्रेरित थी। जो एन चन्द्रा की इकलौती मराठी मूवी थी।
प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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अरशद वारसी | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | नामित |
परेश रावल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | नामित |