हाईवे | |
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प्रचार पोस्टर | |
निर्देशक | इम्तियाज़ अली |
लेखक | इम्तियाज़ अली |
निर्माता |
साजिद नाडियाडवाला इम्तियाज़ अली |
अभिनेता | |
छायाकार | अनिल मेहता |
संपादक | आरती बजाज |
संगीतकार | ए॰ आर॰ रहमान |
निर्माण कंपनियां |
विंडो सीट फ़िल्म नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेंट |
वितरक | यूटीवी मोशन पिक्चर्स[1] |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
133 मिनट[2] |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
हाईवे इम्तियाज़ अली द्वारा लिखित एवं निर्देशित और साजिद नाडियाडवाला द्वारा निर्मित २०१४ की बॉलीवुड की हिन्दी फ़िल्म है। फ़िल्म में रणदीप हुड्डा और आलिया भट्ट मुख्य अभिनय भूमिका में हैं। फ़िल्म विश्वस्तर पर 21 फ़रवरी 2014 को जारी की गई[3] फ़िल्म को 64वें बर्लिन इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टीवल में चित्रमाला अनुभाग में प्रदर्शित किया गया।[4] फ़िल्म की रूपरेखा एक युवती की है जिसका उसके विवाह से ठीक पहले अपहरण कर लिया जाता है और उसे फिरौती के लिए रखा जाता है जहाँ वह अपने अपहरणकर्ता से ही प्यार करने लगती है।[5]
फ़िल्म की कहानी वीरा त्रिपाठी (आलिया भट्ट) के विवाह की पूर्व संध्या से आरम्भ होती है। वह एक धनी व्यापार टाइकून की पुत्री है। वह रात को अपने भावी मंगेतर के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग (हाईवे) पर थी तभी उसका अपहरण हो जाता है। उसका अपहरण करने वाले गिरोह को पता लगता है कि वीरा के पिता सरकार के साथ सम्बंध हैं। हालांकि, उसका अपहरणकर्त्ता महाबीर भाटी (रणदीप हुड्डा) वो सब कुछ करना चाहता है जो उसके माध्यम से किया जा सकता है। वो लगातार नगर बदलते हैं जिससे पुलिस उनका पिछा न कर सके। जैसे-जैसे दिन गुजरते हैं वीरा को इस बंधन में अच्छा महसूस होता है क्योंकि इसमें अपने तंगी भरे बचपन को पाती है। उसका अपहरित होने का डर स्वतंत्रता की भावना से दूर हो जाता है।
एक जगह जांच चौकी को पार करते समय पुलिस बड़ी मुश्किल से ट्रक को पकड़ लेती है लेकिन वीरा आश्चर्यजनक रूप से अपने आप को भी छुपा लेती है। वीरा महाबीर के सामने स्वीकार करती है कि उसे यात्रा करना अच्छा लगता है और वह अपने पूर्व जीवन में पुनः नहीं जाना चाहती। महाबीर उसकी सहायता नहीं कर सकता लेकिन उसका ध्यान रखता है और उसका गुस्सा क्षीण हो जाता है यहाँ तक कि धीरे-धीरे वह उसे जाने देने का निर्णय करता है। वीरा उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर देती है और महाबीर के साथ रहने का दृढ़ता से निर्णय लेती है। वो पहाड़ी की चोटी पर आश्रय लेते हैं। अगली शुबह अचानक गोलीबारी होने लगती है पुलिस उनका पिछा करते हुये पहुँच जाती है। महाबीर की मौके पर ही गोली मारकर हत्या कर दी जाती है जबकि हैरान वीरा को उसके माता पिता के पास भेज दिया जाता है। इस घटना से परेशान वीरा अपने परिवार को अपन अपमानजनक चाचा और उनके साथ और अधिक नहीं रहने की इच्छा के बारे में बताती है। इसके अन्त में वीरा पहाड़ी इलाके में, महाबीर के साथ बिताये अपने एक दिन की यादों के साथ अपने लिए काम करते हुये दिखाया गया है।
द टेलीग्राफ को दिये एक साक्षात्कार में निर्देशक इम्तियाज़ अली ने कहा था, "हाईवे एक ऐसी कहानी है जो मेरे साथ १५ वर्षों से है। इसमें कुछ है जो मरता नहीं है। सामान्यतः आप किसी भी कहानी को एक सीमान्त बिन्दु के बाद भूल जाते हो। लेकिन हाईवे, में बहुत कुछ ऐसा है, इसमें बहुत कुछ प्रभावशाली है।" उन्होंने कहानी में जोड़ा, "कुछ वर्ष पूर्व, मैंने टेलीविजन शृंखला (आदित्य श्रीवास्तव और कार्तिका राणे अभिनीत रिश्ते, १९९९ में ज़ी टीवी के लिए) का आधे-घण्टे का एक प्रकरण बनाया था जहाँ मैंने इस कहानी के सर्वप्रथम इस कहानी की सम्भावना को तलाशा था। समय बीतने के बाद, मेरे यहाँ रखे जाने तक इसका रूप एवं विधा परिवर्तित होती रही। इस तरह से यह दो पात्रों की इस यात्रा तक आ पहुँची। महिला की केन्द्रीय भूमिका के लिए मैं किसी ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहता था जिसके पास जीवन का कुछ अनुभव हो, कोई जो कुछ सम्बंधों से गुजरा हो।[6] लेकिन कहानी लिखते समय उन्हें फ़िल्म के कई दृश्यों को परिवर्तित करना पड़ा क्योंकि उन्हें प्रतीत हुआ कि ये दृश्य उनकी पिछली फ़िल्म जब वी मेट से काफी मिलते जुलते थे। उनके अनुसार यह फ़िल्म उनकी प्रथम डिजिटल फ़िल्म है। अप्रैल २०१३ में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि फ़िल्म में दोनों मुख्य पात्र भिन्न पृष्ठभूमि वाले हैं जिसमें अभिनय रणदीप हुड्डा और आलिया भट्ट करेंगे— जिन्होंने छः राज्यों की एक ट्रक में सड़क यात्रा की।[7] इसके आगे, अली के अनुसार उन्होंने विभिन्न तरिके से हाईवे बनाने के बारे में सोचा। एक समय उन्होंने इसे बहुत बड़ी एक्शन फ़िल्म बनाने का निर्णय लिया जिसे बाद में बहुत ही रुमानी रूप दिया; कुछ १२ वर्ष पूर्व उन्होंने कयामत से कयामत तक को रुमानी अंदाज में लिखा था। उनके अनुसार फ़िल्म यात्रा के दौरान अपने आप को खोजने के बारे में है। फ़िल्म की शूटिंग आरम्भ होने तक कहानी पूर्णतया तैयार नहीं हुई थी और कुछ संवाद फ़िल्मांकन के समय ही तैयार किये गये।[8]