हाथी दुनिया की सबसे बुद्धिमान प्रजातियों में से एक हैं। 5 किलोग्राम से अधिक वज़न का हाथी का मस्तिष्क (दिमाग) किसी भी स्थलीय जानवर की तुलना में बड़ा होता है। हालांकि सबसे बड़े आकार की व्हेल के शरीर का वज़न एक प्रारूपिक हाथी की तुलना में 20 गुना अधिक होता है, व्हेल के मस्तिष्क का वज़न एक हाथी के मस्तिष्क की तुलना में दोगुना होता है। सरंचना और जटिलता के आधार पर हाथी का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क से समानता रखता है- जैसे एक हाथी के वल्कुट (cortex) में उतने ही न्यूरोन (तंत्रिका कोशिकाएं) होते हैं, जितने की मानव मस्तिष्क में,[1] जो संसृत विकास (convergent evolution) को दर्शाता है।[2]
हाथी कई प्रकार के व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, इनमें दुःख, सीखना, मातृत्व, अनुकरण (मिमिक्री या नक़ल करना), कला, खेल, हास्य, परोपकारिता, उपकरणों का उपयोग, करुणा और सहयोग इत्यादि भावनाएं शामिल हैं।[3]
इन व्यवहारों में आत्म जागरूकता, स्मृति और संभवतया भाषा भी शामिल हो सकती है।[4] इनमें अत्यधिक बुद्धिमान प्रजातियों के वे सभी गुण पाए जाते हैं जिन्हें केटाशियन[5][6][7] और प्राइमेट्स[8][9] के समतुल्य माना जाता है। हाथियों की उच्च बुद्धिमत्ता और प्रबल पारिवारिक संबंधों के कारण, कुछ शोधकर्ता तर्क देते हैं कि मनुष्यों के लिए उन्हें चुनना नैतिक रूप से गलत है।[10]
अरस्तू ने एक बार कहा था कि हाथी "वे जानवर हैं जो मन और बुद्धि की दृष्टि से सभी अन्य जानवरों को पीछे छोड़ देते हैं".[11]
हाथी (एशियाई और अफ्रीकी दोनों) में एक बहुत बड़ी और अत्यधिक वलनी नियोकॉर्टेक्स होती है, यही विशेषता मनुष्य, वानर और डोल्फिन की विशिष्ट प्रजातियों में भी पाई जाती है। वैज्ञानिक इसे जटिल बुद्धिमत्ता का संकेत मानते हैं। यह एक जाना माना तथ्य है, इसमें कम से कम एक अपवाद है: एकिडना का मस्तिष्क अत्यधिक विकसित होता है, फिर भी उसे होशियार नहीं माना जाता.[12] एशियाई हाथी के सेरेब्रल कॉर्टेक्स का आयतन सबसे अधिक होता है, जो सभी मौजूदा स्थलीय जानवरों में एक संज्ञानात्मक विशेषता है। हाथियों के सेरेब्रल कॉर्टेक्स का आयतन संज्ञानात्मक प्रसंस्करण के लिए उपलब्ध होता है जो किसी भी अन्य प्राइमेट प्रजाति की तुलना में अधिक होता है और व्यापक अध्ययन हाथियों को उपकरणों के उपयोग और उपकरणों के निर्माण के लिए संज्ञानात्मक क्षमता के शब्दों में महान वानरों की श्रेणी में रखते हैं।[8]
हाथी का मस्तिष्क अधिक जटिल गायरल प्रतिरूप को दर्शाता है तथा इसमें मनुष्य, प्राइमेट्स या मांसाहारी जानवरों की तुलना में अधिक और असंख्य वलन होते हैं, लेकिन यह केटाशियन से कम जटिल होता है।[13] हालांकि, हाथी के मस्तिष्क की वल्कुट "केटाशियन की तुलना में अधिक मोटी होती है" और माना जाता है कि इसमें उतने ही वल्कुटिय न्यूरोन (तंत्रिका कोशिकाएं) और वल्कुटिय सिनेप्स होते हैं जितने कि मनुष्य में, जो केटाशियन की तुलना में अधिक होते हैं।[1] किसी समस्या का समाधान करने की क्षमता के सन्दर्भ में हाथी को डोल्फिन के समतुल्य माना जाता है,[6] और कई वैज्ञानिक हाथी की होशियारी को केटाशियन के समान स्तर पर रखते हैं; वास्तव में, एबीसी साइंस के द्वारा प्रकाशित 2011 के एक लेख के अनुसार, "हाथी [उतने] स्मार्ट होते हैं जितने के चिम्प [और] डोल्फिन".[5]
हाथी में भी अत्यधिक बड़ी और अत्यधिक संवलनी हिप्पोकेम्पस, मस्तिष्क सरंचना लिम्बिक प्रणाली में पाई जाती है जो किसी भी मनुष्य, प्राइमेट या केटाशियन से बड़ी होती है।[14] एक हाथी का हिप्पोकेम्पस, मस्तिष्क की केन्द्रीय सरंचना का लगभग 0.7% हिस्सा बनाता है, इसकी तुलना में मनुष्य में यह 0.5% और रिस्सो डोलफिन में 0.1% और बॉटलनोस डोलफिन में 0.05% हिस्सा बनाता है।[15] हिप्पोकैम्पस भावनाओं से सम्बंधित है, यह विशेष रूप से स्मृति (याददाश्त) में योगदान देता है। ऐसा माना जाता है कि इसी कारन से हाथी भी मानसिक सदमे के शिकार बन जाते हैं और इसके लक्षण पोस्ट-ट्रॉमाटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के समतुल्य होते हैं।[16][17]
हाथियों का एनसिफेलिकरण गुणांक (encephalization quotient (EQ)) 1.13 से 2.36 की रेंज में होता है। कुल EQ औसत 1.88 है, जो एशियाई हाथियों के लिए 2.14 के औसत और अफ़्रीकी हाथियों के लिए 1.67 है,"[18] . यह वादविवाद का विषय है कि EQ, या मस्तिष्क का आकार, शरीर के आकार के सापेक्ष होता है, यह होशियारी के लिए एक सटीक पैमाना है, विशेष रूप से उच्चतम EQ वाला जानवर ट्रीश्रू (पेड़ की छछुन्दर) है[19] फिर भी उन्हें अत्यधिक बुद्धिमान या होशियार नहीं माना जाता है।
मनुष्यों की तरह हाथी बड़े होते होते व्यवहार सीखते हैं। जब वे जन्म लेते हैं, उस समय उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं होता कि उन्हें दुनिया में कैसे जीवित रहना है।[20] हाथियों के पास जीवन में सीखने के लिए बहुत अधिक समय होता है, यह अवधि लगभग 10 साल के आसपास होती है। बुद्धिमत्ता के मापन का एक तुलनात्मक तरीका है जन्म के समय मस्तिष्क के आकार की तुलना एक पूर्ण विकसित व्यस्क के मस्तिष्क के आकार के साथ करना। यह इंगित करता है कि एक प्रजाति कम उम्र में कितना कुछ सीखने की क्षमता रखती है। अधिकांश स्तनधारियों में जन्म के समय मस्तिष्क का वजन व्यस्क के मस्तिष्क के वजन के 90 प्रतिशत के आसपास होता है।[20]
मनुष्य के जन्म के समय उसके मस्तिष्क का वजन व्यस्क के मस्तिष्क का 28 प्रतिशत होता है,[20] बॉटलनोस डोल्फिन में यह 42.5%,[21] चिम्पांजी में 54%,[20] और हाथियों में 35 प्रतिशत होता है।[22] यह इंगित करता है कि मनुष्य के बाद हाथी सबसे ज्यादा सीखते हैं और यह व्यवहार मात्र वृत्ति नहीं है, बल्कि सीखने की यह प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वृत्ति सीखी गयी बुद्धिमत्ता से काफी अलग है। माता पिता अपने बच्चों को सिखाते हैं कैसे खाएं, उपकरणों का उपयोग कैसे करें, वे अत्यधिक जटिल हाथियों के समाज में उन्हें उनकी जगह समझाते हैं। प्रमस्तिष्क की टेम्पोरल पालियां (cerebrum temporal lobes), जो स्मृति के संग्रह (किसी चीज को याद रखने) का काम करती हैं, मनुष्यों की तुलना में काफी बड़ी होती हैं।[20]
स्पिंडल कोशिकाएं बुद्धिमानी के व्यवहार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रारंभ में, यह सोचा गया कि स्पिंडल न्युरोनों की उपस्थिति मनुष्यों और महान वानरों के लिए अद्वितीय थी। हालांकि, अध्ययन से पता चला है कि स्पिंडल न्यूरोन एशियाई और अफ़्रीकी दोनों प्रकार के हाथियों के मस्तिष्क में भी पाए जाते हैं,[23] साथ ही ये हम्पबैक व्हेल, फिन व्हेल, किलर व्हेल, स्पर्म व्हेल,[24][25] बॉटलनोस डोल्फिन, रिस्सो डोल्फिन और बेलुगा व्हेल में भी पाए जाते हैं।[26] हाथी के मस्तिष्क और मनुष्य के मस्तिष्क के बीच समानता संसृत विकास की थीसीस का समर्थन करती है।[27]
हाथी ऐसे जीवित प्रजातियों के समाजों में से एक हैं जो एक दूसरे से काफी निकटता से सम्बंधित होते हैं। हाथी के परिवार के सदस्य केवल मौत के कारण ही एक दूसरे से अलग होते हैं, या उनके किसी सदस्य को बंधक बना कर ही उन्हें अलग किया जा सकता है। हाथियों में विशेषज्ञता रखने वाले सिंथिया मोस ने अफ़्रीकी हाथियों के एक परिवार का अध्ययन किया। परिवार के दो सदस्यों पर शिकारियों ने गोली चलाई, बाद में बचे हुए हाथियों ने इनका पीछा किया। हालांकि एक हाथी की मृत्यु हो गयी, दूसरा टीना नाम की एक हथिनी, खड़ी रही, लेकिन उसके घुटने जवाब दे रहे थे। परिवार के दो सदस्य ट्रिस्टा और टेरेसिया (टीना की मां), टीना के दोनों और खड़े हो गए, उन्होंने झुक कर उसे खड़े होने मदद की। अंत में, टीना इतना कमजोर पड़ गयी कि वह जमीन पर गिर गयी और मर गयी। हालांकि, ट्रिस्टा और टेरेसिया ने हार नहीं मानी, वे उसे उठाने की कोशिश करते रहे। उन्होंने किसी तरह से टीना को बैठाया, लेकिन उसका शरीर बेजान था, वह फिर से जमीन पर गिर गयी। तभी परिवार के अन्य सदस्य भी मदद के लिए आ गए, उन्होंने टीना के मुंह में घास डालने की कोशिश की। इसके बाद टेरेसिया ने अपने दांत को टीना के सिर अगले हिस्से के नीचे रखा और उसे उठाने की कोशिश की। जैसे ही उसने ऐसा किया, उसका दायां दांत पूरी तरह से टूट गया, होठ और तंत्रिका गुहा से बाहर आ गया। हाथियों ने उसे उठाने की कोशिश बंद कर दी लेकिन वे उसे छोड़ कर नहीं गए, इसके बजाय, उन्होंने उसे एक छिछले गड्ढे में दफनाना शुरू कर दिया, उसके शरीर के ऊपर पत्तियां डालीं। वे पूरी रात वहीँ खड़े रहे और सुबह वहां से जाने लगे। सबसे अंत में टेरेसिया गयी।[28]
हाथी एक दूसरे से अत्यधिक निकटता से जुड़े होते हैं, उनमें मातृ-पुत्र प्रेम की भावनाएं होती हैं, किसी एक सदस्य की मृत्यु से उनका परिवार तबाह हो जाता है, (विशेष रूप से इसका प्रभाव मां पर पड़ता है) और कुछ समूह तो कभी भी अपने समूह को फिर से नहीं बना पाते. सिंथिया मोस ने एक मां के बच्चे की मृत्यु के बाद उसका प्रेक्षण किया, वह कई दिनों तक अपने परिवार के झुण्ड में सबसे पीछे धीरे धीरे चलती थी।[28]
एडवर्ड टॉपसेल ने 1658 में अपनी पुस्तक द हिस्ट्री ऑफ़ फॉर-फुटेड बीस्ट्स में कहा, "दुनिया भर के जानवरों में हाथी के अलावा ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो इतनी पर्याप्त क्षमता और शक्ति का प्रदर्शन कर सके और और उसमें इतनी बुद्धि भी हो। [29] इसी प्रकाशन में उन्होंने कहा कि हाथी सूरज और चंद्रमा की पूजा करते हैं और एक विशेष प्रकार का विषैला पौधा चबाने से गर्भधारण कर लेते हैं, इनमें से दोनों ही बातें सच नहीं हैं। हाथियों की सहयोग कुशलता के सन्दर्भ में उनकी तुलना चिम्पांजी के साथ की जाती है।[3]
हाथी को अत्यधिक परोपकारी जानवर माना जाता है, वह संकट के समय में यहां तक की मनुष्य सहित अन्य प्रजातियों की भी मदद करता है। भारत में, एक हाथी लकड़ी उठाने वाले लोगों की मदद कर रहा था, वह एक ट्रक के पीछे चल रहा था और अपने महावत (हाथी का प्रशिक्षक) के आदेश पर पहले से बने हुए छेदों में लकड़ी को रख रहा था। एक निश्चित छेद में, हाथी ने लकड़ी को रखने से मना कर दिया। महावत देखने आया और उसने देखा कि एक कुत्ता उस छेद में सो रहा है। हाथी ने लकड़ी को छेद में तभी उतारा जब कुत्ता चला गया। [30]
सिंथिया मोस ने अक्सर पाया है कि हाथी अक्सर यह सोच कर अपना रास्ता बदल लेते हैं कि मनुष्यों को कोई नुकसान न पहुंचे, वे यहां तक कि ऐसा करते हैं जब उन्हें खुद ऐसा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है (जैसे पीछे मुड़ना पड़े).
जॉइस पूल ने कुकी गल्मेन की लाइकिपिया रांच में कॉलिन फ्रेंकोम्बे के द्वारा एक घटना का विवरण दिया। एक गडरिया अपने ऊंटों के साथ जा रहा था जब उसका सामना हाथियों के एक परिवार से हुआ। मेट्रीआर्क ने उस पर हमला किय, उसकी एक टांग टूट गयी। शाम को, जब वह वापस नहीं लौटा, उसे ढूंढने के लिए ट्रक में कुछ लोगों को भेजा गया। जब वह मिला एक हाथी उसकी रक्षा कर रहा था। जानवर ने ट्रक पर हमला किया, इसलिए उन्होंने उस पर गोली चला कर उसे डराने की कोशिश की। बाद में गडरिये ने उसे बताया कि जब वह खड़ा नहीं हो पा रहा था, तब हाथी ने अपनी सूंड से उसे उठाया और एक पेड़ की छाया में बैठा दिया। उसने पूरे दिन उसकी रक्षा की और हलके से अपनी सूंड से उसे छूती रही। [20]
अफ्रीका में हाथी बोर्गिनासी परिवार के एक पेड़ की पत्तियां चबा कर अपना इलाज करते हैं, जो प्रसव पीड़ा को प्रेरित करता है। केन्या के हाथी भी इसी प्रयोजन के लिए इस पेड़ का उपयोग करते थे।[31]
होमो सेपियन सेपियन और नियेंडरथल[32] के अलावा हाथी धरती पर पर एक मात्र प्रजाति है जो मृत्यु के समय पर विशेष अनुष्ठान करती है। वे अपने प्रियजन की अस्थियों में बहुत रूचि लेते हैं (यहां तक कि असंबंधित हाथी जो लम्बे समय पहले मर चुका हो). अक्सर देखा जाता है कि वे बड़े आराम से अपनी सूंड और पैरों से अस्थियां निकाल रहें हैं और बाकि हाथी शांति से बैठे हैं। कभी कभी ऐसे हाथी भी मृतक की कब्र पर आ जाते हैं, जिनका उससे कोई सम्बन्ध नहीं होता। [11] जब किसी हाथी को चोट लगती है, अन्य हाथी (चाहे वे सम्बन्धी न हों) उसकी मदद करते हैं।[20]
हाथी शोधकर्ता मार्टिन मेरेडिथ ने अपनी पुस्तक में एक हाथी की मृत्यु के अनुष्ठान के बारे में लिखा, एक दक्षिण अफ़्रीकी जीव विज्ञानी एंथोनी माइकल हॉल इसका चश्मदीद था, जिसने एड्डो, दक्षिण अफ्रीका में आठ साल से ज्यादा समय तक हाथियों पर अध्ययन किया। मृतक का पूरा परिवार, उसके छोटे बच्चे सहित, उसके शरीर को सूंड से सहला रहा था, उसे उठाने की कोशिश कर रहा था। हाथियों का झुण्ड जोर जोर से आवाजें लगा रहा था। उसका बच्चा रो रहा था और उसकी दुःख भरी चीखें सुनी जा सकती थीं, लेकिन तभी पूरा समूह अचानक शांत हो गया। फिर उन्होंने उसके शरीर पर मिटटी और पत्तियां डालनी शुरू कर दीं, उसे ढकने के लिए पेड़ की टहनियां तोड़ीं. वे अगले दो दिन तक चुपचाप उसके शरीर पर खड़े होकर व्यतीत करते हैं कभी कभी वे भोजन औरपानी की तलाश में चले जते हैं लेकिन हमेशा लौट आते हैं।[33]
मनुष्य के आस पास हाथियों का इस प्रकार का व्यवहार पूरे अफ्रीका में आम है। कई अवसरों पर, उन्होंने मृत मनुष्यों को भी दफनाया है या दुःख में उनकी मदद की है।[20] मेरेडिथ एक और घटना का याद करते हैं जो उन्हें एक केन्याई गेम वार्डन जॉर्ज एडम्सन ने बताई थी, एक बूढी तुर्क महिला अपने घर का रास्ता भूल गयी, वह एक पेड़ के नीचे सो रही थी। जब वह जागी, एक हाथी उसके ऊपर खड़ा था और उसे प्यार से सहला रहा था। वह स्थिर हो गयी, क्योंकि वह बहुत डर गयी थी। एक और हाथी वहां आया, उन्होंने जोर जोर से चिल्लना शुरू कर दिया और उसे शाखाओं के नीचे दफना दिया। अगली सुबह स्थानीय चरवाहों ने उसे वाहना पाया, उसे कोई चोट नहीं पहुंची थी।[33]
जॉर्ज एडम्सन एक और घटना को याद करते हैं जब उन्होंने एक समूह में एक बुल हाथी का शिकार किया जो उत्तरी केन्या के सरकारी बगीचे में घुस गया था। जॉर्ज ने स्थानीय तुर्क आदिवासियों को हाथी का मांस दिया और शेष शव को एक मील तक घसीट कर ले गया। उस रात, अन्य हाथियों को उसका शरीर मिला, उन्होंने उसकी कंधे की ब्लेड और टांग की हड्डी ली, ठीक उसी स्थान पर चले गए जहां हाथी को मारा गया था।[34] वैज्ञानिक अक्सर इस बात पर बहस करते हैं कि हाथी भावनाओं को महसूस करते हैं।[34]
जॉइस पूल ने कई बार जंगली अफ़्रीकी हाथियों को खेलते हुए देखा है। वे अक्सर अपने और दूसरों के मनोरंजन के लिए कई काम करते हैं। अक्सर देखा गया है कि हाथी पानी को अपनी सूंड में खींच लेते हैं, फिर अपनी सूंड को हवा में लहरा कर फव्वारे की तरह पानी को स्प्रे करते हैं।[20]
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि हाथी जिस आवाज को सुनते हैं, उसकी नक़ल कर सकते हैं। यह तब पाया गया जब एक अनाथ हाथी ने पास से गुजरते हुए ट्रकों की आवाज की नक़ल की। अब तक जिन जानवरों को आवाजों की नक़ल के लिए जाना जाता है, उनमें व्हेल, डोल्फिन, चमगादड़, प्राइमेट और पक्षी शामिल हैं।[35] 23 साल के एक अफ्रीकी हाथी केलिमेरो एक विशेष प्रकार की नक़ल का प्रदर्शन किया। वह स्विस चिड़ियाघर में एशियाई हाथियों के साथ था। एशियाई हाथी चिर्प की ध्वनी करते हैं जो अफ़्रीकी हाथियों की गहरी रमब्लिंग ध्वनि से अलग है। केलिमेरो ने भी चिर्प करना शुरू कर दिया, वह अपनी प्रजाति की प्रारूपिक गहरी आवाज नहीं करता था।[36]
दक्षिण कोरिया के एवरलैंड अम्यूजमेंट पार्क में एक भारतीय हाथी, कोसिक ने प्रशिक्षकों को हैरान कर दिया जब उसने अपने प्रशिक्षक जोंग गैप किम की आवाज की नक़ल की। कोसिक आठ कोरियाई शब्दों की नक़ल कर सकता है जिसमें सिट, नो, येस और लाइ डाउन शामिल हैं। उसकी नक़ल बिल्कुल मनुष्य की आवाज लगती है। कोसिक अपनी सूंड को अपने मुंह में रखता है, फिर इसे सांस छोड़ते हुए हिलाता है और मनुष्य की आवाज निकालता है। यह कुछ इस तरह से करता है जैसे लोग अपने मुंह में अंगुली रख कर सीटी बजाते हैं।[37] हाथी एक दूसरे के संपर्क में रहने के लिए आवाजें निकालते हैं, जब वे एक दूसरे को देख नहीं पाते हैं। मादा हाथी इन आवाजों को याद भी रख सकते हैं, इस तरह से वे अपने परिवार के सदस्यों को बाहरी सदस्यों से विभेदित कर लेते हैं। वे इस आधार पर भी पारिवारिक इकाइयों के बीच विभेदन कर लेते हैं कि ये आवाजें कितनी बार सुनाई दीं। [38]
हाथियों में उपकरणों का इस्तेमाल करनी की उल्लेखनीय क्षमता होती है, वे अपनी सूंड का उपयोग भुजा की तरह करते हैं। हाथी पानी पीने के लिए खड्डे खोद देते हैं, एक पेड़ की छाल को उधेड़ लेते हैं, उसे चबा कर गेंद की आकृति दे देते हैं, एक छेद को भर देते हैं, वाष्पीकरण को रोकने के लिए इसे मिटटी से ढक देते हैं, बाद में वापस यहां आकर पानी पीते हैं। वे अक्सर मक्खियां उड़ाने के लिए या अपने आप को खुजली करने के लिए टहनियों का उपयोग करते हैं।[30] हाथी बिजली की बाद पर बहुत बड़ी चट्टान को गिरते हैं, याकि यह नष्ट हो जाये या बिजली कट जाये.[20]
कई अन्य प्रजातियों की तरह, हाथी अपनी सूंड से ब्रश को पकड़ कर कलाकारी भी करते हैं। इसका एक उदाहरण एक टीवी प्रोग्राम एक्स्ट्राऑर्डिनरी एनिमल्स में दिखाया गया है, जिसमें हाथी थाईलैंड के एक कैम्प में फूलों की एक पेंटिंग बना रहा था। हालांकि चित्र हाथियों ने ही बनाये थे, लेकिन एक व्यक्ति हमेशा उनकी सहायता कर रहा था और उनका मार्गदर्शन कर रहा था।[उद्धरण चाहिए] इन प्रस्तुतियों से, निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि हाथी अपनी चित्रकला की आकृति के बारे में सचेत हैं या नहीं। [संदिग्ध ]
एक हाथी का असाधारण वीडियो वृत्तचित्र जिसमें हाथी एक हाथी की तस्वीर बना रहा है-संभवतया आत्म जागरूकता को प्रदर्शित करता है- यह इंटरनेट समाचार और वीडियो वेबसाईट पर बहुत प्रसिद्द हो गयी है।[39] पेंटिंग की गुणवत्ता बहुत उंची है, इसे देख कर कई दर्शकों ने वीडियो की सत्यता के बारे में संदेह व्यक्त किया। वेबसाइट snopes.com, जो शहरी किवदंतियों में विशेषज्ञ है, वह वीडियो को "सच" बताती है, जिसमें हाथी ब्रश से स्ट्रोक बना रहा है, लेकिन ध्यान दें कि बनी हुई पेंटिंग की समानता हाथी के रचनात्मक प्रयास के बजाय सीखे गए स्ट्रोक्स को दर्शाती है।[40]
हाथी लम्बा समय समस्या को सुलझाने में बिता सकते हैं। वे नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने व्यवहार को तदनुसार बदल लेते हैं, यह एक जटिल बुद्धिमत्ता का चिन्ह है। 2010 में किये गए के प्रयोग में पाया गया कि भोजन पाने के लिए, "हाथी ऐसे पार्टनर की मदद करना सीख जाते हैं जिसमें दो जीव इनाम पाने के लिए एक ही रस्सी के दो सिरों को खींच रहें हैं",[3][41] वे अपनी सहयोग कुशलता के स्तर के सन्दर्भ में चिम्पान्जियों के समतुल्य हैं।
1970 के दशक में मरीन वर्ल्ड अफ्रीका, अमेरिका में बंदुला नाम का एक एशियाई हथिनी रहती थी। बंदुला ने उसके पैरों में बाँधी गयी बेड़ियों को खोल दिया, या उन्हें तोड़ डाला। सबसे जटिल उपकरण था ब्रूमल हुक, यह उपकरण तब बंद हो जाता है जब दो विपरीत बिंदु एक साथ खिसकते हैं। बंदुला ने हुक को तब तक खिसकाया जब तक ये दोनों बिंदु एक दूसरे से दूर नहीं हो गए। जब उसने अपने आप को मुक्त कर लिया वह दूसरे हाथियों को भी आजाद करने में उनकी मदद करने लगी। [31] बंदुला के मामले में और निश्चित रूप से अन्य बंधक बनाये गए जानवर के मामले में हाथी धोखा देने का प्रयास भी करता है, जैसे वह आस पास देख कर यह सुनिश्चित कर लेता है कि कोई उसे देख तो नहीं रहा। [31]
एक अन्य मामले में, एक मादा हाथी ने एक इंच मोटी लोहे की छड़ एक आई होल की मदद से खोल दिया। उसने इसके लिए अपनी सूंड का उपयोग किया और बोल्ट को खोल लिया।[31]
फीनिक्स चिड़ियाघर में एक एशियाई हथिनी रूबी अक्सर छिपकर अपने रखवाले की बातें सुनती थी जब वह उसके बारे में बात करता था। जब उसने शब्द पेंट सुना तब वह बहुत उत्तेजित हो गयी। उसे हरा, पीला, नीला और लाल रंग पसंद था। एक खास दिन वहां एक ट्रक आया, उसे उसे पास ही पार्क किया गया, वहां एक आदमी को दिल का दौरा पड़ा था। ट्रक की लाईट पीले, लाल और सफ़ेद रंगों में चमक रही थी। जब बाद में रूबी ने उसी दिन पेंट किया, उसने इन्हीं रंगों को चुना। वह उन रंगों को भी प्राथमिकता देती थी जो उसके रखवाले ने पहने होते थे।[31]
एक हाथी प्रशिक्षक, हैरी पीचे ने कोको नमक हाथी के साथ एक सहयोगी सम्बन्ध विकसित किया। कोको अपने प्रशिक्षक की मदद करती थी, उसके रखवाले कई कमांड देकर उसे प्रोत्साहित करते थे और कोको कई शब्द सीख गयी। पीचे ने कहा कि हाथी अक्सर मनुष्य के काम में सहयोग करने लगते हैं, अगर उनके प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की भावना रखी जाये. कोको उस समय काम करती थी जब उसे रखवाले को "हाथी की मदद" की जरुरत होती थी। एक बार वे मादा हाथियों के एक समूह को किसी और चिड़ियाघर में स्थानांतरित कर रहे थे। जब रखवाले एक मादा को स्थानांतरित करना चाहते थे, वे आमतौर पर उसके नाम के बाद शब्द ट्रांसफर का उपयोग करते थे (उदाहरण "कोनी ट्रांसफर). कोको जल्द ही इसका अर्थ समझ गयी। अगर रखवाले हाथी के स्थानातरण की बात करते थे तो वे हिलना बंद कर देते थे, तब वे कहते थे, "कोको मुझे हाथ दो." कोको यह सुनकर मदद करती थी। हाथियों के साथ 27 साल तक काम करने के बाद पीचे का यह दृढ़ विश्वास है कि वे शब्दों और कुछ शब्दों की वाक्य रचना को समझ सकते हैं। यह जंतु वर्ग में बहुत ही दुर्लभ लक्षण है।[31]
टोक्यो विश्वविद्यालय के डॉ॰ नाओको इरी ने एक अध्ययन में पाया कि हाथी अंकगणित में भी कौशल का प्रदर्शन करते हैं। प्रयोग में "उनो चिड़ियाघर के हाथियों के सामने दो टोकरियों में अलग अलग संख्या के सेब डाले गए और यह दर्ज दिया गया कि कितनी बार हाथी ने ज्यादा फलों वाली टोकरी को उठाया." जब टोकरी में एक से ज्यादा सेब डाले गए, तो इसका अर्थ यह था कि "हाथी को इस गणना के कुल योग को अपने दिमाग में रखना होता था". परिणाम दर्शाते हैं कि "74 प्रतिशत बार जानवर ने पूरी भरी सही टोकरी को ही उठाया. एश्य नमक एक अफ्रीकी हाथी 87 प्रतिशत का सबसे ज्यादा स्कोर बनाया. इसी प्रतियोगिता में मनुष्य केवल 67 प्रतिशत की सफलता दर ही प्रदर्शित कर पाए. " इस अध्ययन की सटीकता को प्रमाणित करने के लिए इसे फिल्माया भी गया था।[42]
एशियाई हाथी जानवरों के एक छोटे समूह में शामिल हो गए हैं, इनमें महान वानर, बॉटलनोस डोल्फिन, मैगपी, शामिल हैं जो आत्म-जागरूकता प्रदर्शित करते हैं। अध्ययन का संचालन न्युयोर्क में ब्रोंक्स चिड़ियाघर में हाथियों का उपयोग करते हुए वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (Wildlife Conservation Society (WCS) के साथ किया गया। हालांकि कई जानवर दर्पण के लिए प्रतिक्रिया देते हैं, बहुत कम इस प्रमाण को दर्शाते हैं कि वे पहचानते हैं कि दर्पण में वे अपने आप को देख रहें हैं।
अध्ययन में पाया गया कि एशियाई हाथी भी इसी प्रकार के व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं जब वे 2.5 m-by-2.5 m के दर्पण के सामने खड़े होते हैं- वे आईने के सामने खड़े होते हैं और खाने के लिए अपने भोजन को भी दर्पण के पास ले आते हैं।
हाथी की आत्म जागरूकता का प्रमाण तब मिला जब हाथी हेप्पी ने बार बार अपने सिर पर पेंट किये गए X को अपनी सूंड से स्पर्श किया, इस निशान को केवल दर्पण में ही देखा जा सकता था। हैप्पी ने रंगहीन पेंट से बनाये गए एक और निशान पर ध्यान नहीं दिया, यह निशान भी उसके माथे पर ही बनाया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके के वह पेंट की गंध के लिए तो प्रतिक्रिया नहीं कर रही है।
अध्ययन का संचालन करने वाले फ़्रांस डी वाल ने कहा, "मनुष्य और हाथी के बीच ये समानताएं सुझाव देती हैं कि एक संसृत संज्ञानात्मक विकास संभवतः जटिल समाज और सहयोग से सम्बंधित है।"[43]
अम्बोसेली हाथी अनुसंधान परियोजना, केन्या, के जॉइस पूल, ने दर्शाया है कि हाथी वातावरण में और एक दूसरे के द्वारा उत्पन्न की गयी आवाजों की नक़ल करते हैं और शाब्दिक रूप से इन्हें सीखने का प्रयास करते हैं। वह इस दिशा में अनुसंधान की शुरुआत कर रही हैं कि ये आवाजें हाथी की बोलियां हैं या जंतु वर्ग की एक दुर्लभ विशेषता हैं।[35]
दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क में आबादी नियंत्रण की दृष्टि से अफ़्रीकी हाथियों को मारने की मुद्दे पर काफी बहस हुई है। कुछ वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि उन्हें मारना "अनावश्यक और अमानवीय" है[44] चूंकि हाथी कई तरह से मनुष्य से समानता रखते हैं, उनका मस्तिष्क मनुष्य की तरह है, वे सामाजिक बंधन रखते हैं, ये लक्षण उनमें सहानुभूति, अनुभूति, होशियारी को दर्शाते हैं। उनके बच्चों को लम्बे समय तक अपने माता पिता की देखभाल की जरुरत होती है।"[45] एक दक्षिण अफ्रीकी पशु अधिकार समूह ने कहा,'हममें से कितने लोग हाथियों को हत्या करना पसंद करेंगे?"[46] अन्य लोगों का तर्क है कि मारना जरुरी है अगर जैव विविधता को ख़तरा हो। [47]
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