जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन और चार्वाक दर्शन वेदों को अस्वीकार करते हैं। इस अर्थ में उन्हें नास्तिक कहा जाता है न कि ईश्वर के अस्तित्व को न मानने के कारण। वेदों को न मानने के साथ इन दर्शनों में 'सृजक ईश्वर' को भी अस्वीकार किया गया है।
↑कुमार, प्रमोद (1992). Towards Understanding Communalism. चण्डीगढ़: Centre for Research in Rural and Industrial Development. p. 348. ISBN9788185835174. OCLC27810012.