2018 आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में हिमा दास | |||||||||||||
व्यक्तिगत जानकारी | |||||||||||||
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पूरा नाम | हीमा रणजीत दास | ||||||||||||
उपनाम | ढिंग एक्सप्रेस | ||||||||||||
राष्ट्रीयता | भारतीय | ||||||||||||
जन्म |
9 जनवरी 2000 ढिंग, नगाँव, असम | ||||||||||||
निवास | ढिंग, नगाँव, असम | ||||||||||||
कद | 5 फुट 5 इंच | ||||||||||||
वज़न | 55 किलो | ||||||||||||
खेल | |||||||||||||
देश | भारत | ||||||||||||
खेल | ट्रैक एंड फील्ड | ||||||||||||
प्रतिस्पर्धा | 400 मीटर | ||||||||||||
कोच | निपोन दास | ||||||||||||
उपलब्धियाँ एवं खिताब | |||||||||||||
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ | 400 मीटर: 50.79 (2018 एशियाई खेल जकार्ता,[1] | ||||||||||||
पदक अभिलेख
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हिमा दास (असमिया: হিমা দাস) (जन्म 09 जनवरी 2000) एक भारतीय धावक हैं। वो आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हिमा ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता।[2][3]
अप्रैल 2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास ने 51.32 सेकेंड में दौर पूरी करते हुए छठवाँ स्थान प्राप्त किया था। तथा 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया था। हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने जीता था। इसके अलावा 18वें 2018 एशियाई खेल जकार्ता में हिमा दास ने दो दिन में दूसरी बार महिला 400 मीटर में राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़कर रजत पदक जीता है।
2019 में हिमा ने पहला गोल्ड मेडल 2 जुलाई को 'पोज़नान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स' में 200 मीटर रेस में जीता था. इस रेस को उन्होंने 23.65 सेकंड में पूरा कर गोल्ड जीता था। 7 जुलाई 2019 को पोलैंड में 'कुटनो एथलेटिक्स मीट' के दौरान 200 मीटर रेस को हिमा ने 23.97 सेकंड में पूरा करके दूसरा गोल्ड मेडल हासिल किया था। 13 जुलाई 2019 को हिमा ने चेक रिपब्लिक में हुई 'क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स' में महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा कर फिर से तीसरा गोल्ड मेडल हासिल किया था। 19 साल की हिमा ने बुधवार 17 जुलाई 2019 को चेक रिपब्लिक में आयोजित 'ताबोर एथलेटिक्स मीट' के दौरान महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.25 सेकेंड में पूरा कर फिर से चौथा गोल्ड मेडल हासिल किया. इस दौरान हिमा अपने रिकॉर्ड (23.10 सेकंड) के बेहद करीब पहुंच गई थी लेकिन वो इसे तोड़ नहीं पाईं। हिमा ने चेक गणराज्य में ही शनिवार 20 जुलाई 2019 में 400 मीटर की स्पर्धा दौड़ में 52.09 सेकेंड के समय में जीत हासिल की. हिमा का जुलाई मास 2019 में मात्र 19 दिनों के भीतर प्राप्त किया गया यह पांचवां स्वर्ण पदक है.
चेक गणराज्य में आयोजित क्लाड्नो एथलेटिक्स में भाग लेने पहुंचीं हिमा दास ने 17 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री राहत कोष में राज्य में बाढ़ के लिए अपना आधा वेतन दान कर दिया। इसके अलावा उन्होंने ट्वीट कर बड़ी कंपनियों और व्यक्तियों से भी आगे आकर असम की मदद करने की अपील की।
हिमा का जन्म असम राज्य के नगाँव जिले के कांधूलिमारी गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम रणजीत दास तथा माता का नाम जोनाली दास है। उनके माता पिता चावल की खेती करते हैं। ये चार भाई-बहनों से छोटी हैं। दास ने अपने विद्यालय के दिनों में लड़कों के साथ फुटबॉल खेलकर क्रीड़ाओंं मेंं अपनी रुचि की शुरुआत की थी। वो अपना कैरियर फुटबॉल[4] में देख रही थीं और भारत के लिए खेलने की उम्मीद कर रही थीं।
फिर जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू किया। शमशुल हक़ ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई। फिर हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी जीतीं। [5]
जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान 'स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर' के निपोन दास की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने हिमा दास के परिवार वालों को हिमा को गुवाहाटी भेजने के लिए मनाया जो कि उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर था। पहले मना करने के बाद हिमा दास के घर वाले मान गए।
26 फरवरी, 2021 के दिन हिमा दास को असम पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक(डीएसपी) के पद पर नियुक्त किया गया। दास को राज्य की ‘एकीकृत खेल नीति’ के तहत इस पद पर नियुक्त किया गया।
एथलेटिक्स में आने के बाद हिमा दास को सबसे पहले अपना परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर दूर आकर बसना पड़ा ! शुरुआत में उनके परिजन इसके लिए राजी नहीं थे,लेकिन कोच निपोन ने काफी जिद करके हिमा के परिजनों को मनाया ! फिर शुरू हुआ हिमा की कामयाबी का सफर !
हिमा दास गोल्ड मेडल जीतने के बाद indian एथलीट्स के साथ एलीट क्लब में शामिल हो चुकी हैं! सीमा पुनिया, नवजीत कौर ढिल्लों और नीरज चोपड़ा की तरह वह एक ऐसी शख्सियत बनकर उभरी हैं, जिन्हें उनकी कामयाबी ने रातों रात लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया है !
उनके कोच निपोन दास को पूरा विश्वास था,कि उनकी शिष्या कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। अब 400 मीटर की रेस में उन्होंने अपनी ताकत का पूरी दुनिया में लोहा मनवाया है।
20 दिन में 6 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।