हिलसा Hilsa | |
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निर्देशांक: 25°18′58″N 85°16′52″E / 25.316°N 85.281°Eनिर्देशांक: 25°18′58″N 85°16′52″E / 25.316°N 85.281°E | |
देश | ![]() |
प्रान्त | बिहार |
ज़िला | नालंदा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 51,052 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, मगही |
हिलसा (Hilsa) भारत के बिहार राज्य के नालंदा ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
यह इसी नाम के अनुमंडल का मुख्यालय भी है। हिलसा बिहार की राजधानी पटना के लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। हरिनंदन प्रसाद उर्फ हिलास बाबू का जन्म इसी धरती पर हुआ, जिसके नाम पर इस अनुमंडल का नाम "हिलसा" पड़ा। यह अनेक स्वाधीनता सेनानियों की जन्मभूमि और भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौर में एक प्रमुख केंद्र रहा है।
बिहार के अन्य भागों की तरह हिलसा में भी गर्मी का तापमान उच्च रहता है। गृष्म ऋतु में सीधा सूर्यातप तथा उष्ण तरंगों के कारण असह्य स्थिति हो जाती है। गर्म हवा से बनने वाली लू का असर शहर में भी मालूम पड़ता है। देश के शेष मैदानी भागों (यथा - दिल्ली) की अपेक्षा हलाँकि यह कम होता है।
गृष्म ऋतु अप्रैल से आरंभ होकर जून- जुलाई के महीने में चरम पर होती है। तापमान 43 डिग्री तक पहुंच जाता है। जुलाई के मध्य में मॉनसून की झड़ियों से राहत पहुँचती है और वर्षा ऋतु का श्रीगणेश होता है। शीत ऋतु का आरंभ छठ पर्व के बाद यानी नवंबर से होता है। फरवरी में वसंत का आगमन होता है तथा होली के बाद मार्च में इसके अवसान के साथ ही ऋतु-चक्र पूरा हो जाता है।
बैंक
एटीएम
स्कूल
कॉलेज
अधिकतर शादियां माता-पिता के द्वारा ही निर्धारित-निर्देशानुसार होती है। विवाद में संतान की इच्छा की मान्यता परिवार पर निर्भर करती है। विवाह को पवित्र माना जाता है और तलाक की बात सोचना (मुस्लिम परिवारों में भी) एक सामाजिक अपराध समझा जाता है। शादियाँ उत्सव की तरह आयोजित होती है और इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भरमार रहती है। कुछेक पर्वों को छोड़ दिया जाय तो वास्तव में विवाह के अवसर पर ही लोक-कला की सर्वोत्तम झांकी दिखाई देती है। इस अवसर पर किए गए खर्च और भोजों की अधिकता कई परिवारों में विपन्नता का कारण बनता है। दहेज का चलन ज्यादातर हिंदू एवं मुस्लिम परिवारों में बना हुआ है।
हिंदू महिलाएँ तीज, जीतीया, छठ आदि बहुत ही धार्मिक उत्साह के साथ मनाती हैं। दीवाली, दुर्गापूजा, होली, बसंत पंचमी, शिवरात्रि, रामनवमी, जन्माष्टमी हिंदुओं का महत्वपूर्ण लोकप्रियतम पर्वो में से है, जबकि मुसलमानों का महत्वपूर्ण त्यौहार मुहर्रम, ईद और बकरीद है।
छठ इस क्षेत्र के लिए सबसे पवित्र त्योहार है। इसका महत्व के रूप में यह धर्म के सभी बाधाओं को खारिज कर देता है देखा जा सकता है। इस उत्सव में खरना के उत्सव से लेकर अर्ध्यदान तक समाज की अनिवार्य उपस्थिति बनी रहती है। यह सामान्य और गरीब जनता के अपने दैनिक जीवन की मुश्किलों को भुलाकर सेवा भाव और भक्ति भाव से किए गए सामूहिक कर्म का विराट और भव्य प्रदर्शन है।
आबादी का मुख्य भोजन भात-दाल-खीर-रोटी-तरकारी-अचार है। सरसों का तेल पारम्परिक रूप से खाना तैयार करने में उपयोगी होता है। खिचड़ी, जोकि चावल तथा दालों से साथ कुछ मसालों को मिलाकर पकाया जाता है, भी भोज्य व्यंजनों में काफी लोकप्रिय है। खिचड़ी, प्रायः शनिवार को, दही, पापड़, घी, अचार तथा चोखा के साथ-साथ परोसा जाता है।
हिलसा को केन्द्रीय बिहार के मिष्ठान्नों तथा मीठे पकवानों के लिए भी जाना जाता है। इनमें खाजा, मावे का लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, काला जामुन, केसरिया पेड़ा, परवल की मिठाई, खोये की लाई और चना मर्की का नाम लिया जा सकता है। इन पकवानो का मूल इनके सम्बन्धित शहर हैं जो कि हिलसा के निकट हैं, जैसे सिलाव का खाजा, बाढ का मावे की लाई, मनेर का लड्डू, विक्रम का काला जामुन, गया का केसरिया पेड़ा, बख्तियारपुर का खोये की लाई ,पटना का चना मर्की, बिहिया की पूरी इत्यादि उल्लेखनीय है।
इसके अतिरिक्त इन पकवानों का प्रचलन भी काफी है -
आमिष व्यंजन भी लोकप्रिय हैं। मछली काफी लोकप्रिय है और मुग़ल व्यंजन भी हिलसा में देखे जा सकते हैं।
यहां का नजदीकी हवाई अड्डा पटना का जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा है। जो यहां से 55 किलोमीटर दूर है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संचालित लोकनायक जयप्रकाश हवाईक्षेत्र, पटना (IATA कोड- PAT) अंतर्देशीय तथा सीमित अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए इंडियन, किंगफिशर, जेट एयरवेज, जेट लाईट, गो एयर तथा इंडिगो की उडानें दिल्ली, रांची, कोलकाता, मुम्बई, लखनऊ तथा कुछ अन्य नगरों के लिए नियमित रूप से उपलब्ध है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और राज्य की राजधानी पटना के अतिरिक्त यहाँ से बक्सर, दानापुर, इस्लामपुर, फतुहा तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध है।
फतुहा-इसलामपुर लाइट रेल का निर्माण बर्न कम्पनी, कलकत्ता द्वारा किया गया था। इस रेल खण्ड पर 24 जनवरी 1922 में रेल सेवा प्रारम्भ की गई थी। यह रेल सेवा कम्पनी द्वारा 1984 में समाप्त कर दी गई थी। इसके बाद इस लाइट रेल लाइन की नई बड़ी लाइन में नव निर्माण 95 करोड़ रुपया लागत पर किया गया और यात्री सेवा का पुनः शुभारंभ उस समय के रेलमंत्री श्री नीतीश कुमार के द्वारा 22 जनवरी 2002 को किया गया।
हिलसा (SH-4) सड़क मार्ग द्वारा राजगीर (68 किमी), बोध-गया (80 किमी), गया (60 किमी), पटना (45 किमी), पावापुरी (66 किमी) तथा बिहार शरीफ (40 किमी) से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।