हीरो नं॰ 1 | |
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हीरो नं॰ 1 का पोस्टर | |
निर्देशक | डेविड धवन |
लेखक | रुमी जाफ़री |
निर्माता | वाशु भगनानी |
अभिनेता |
गोविन्दा, करिश्मा कपूर, कादर ख़ान, परेश रावल, सतीश शाह, टीकू तलसानिया, अनिल धवन, राकेश बेदी, हिमानी शिवपुरी |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद |
प्रदर्शन तिथियाँ |
21 फ़रवरी, 1997 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
हीरो नं॰ 1[note 1] 1997 की डेविड धवन द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें गोविन्दा और करिश्मा कपूर प्रमुख भूमिकाओं में है। फिल्म अधिकांशतः ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित कॉमेडी फिल्म बावर्ची द्वारा प्रेरित है।[1] इसे तेलुगू में नंदमुरी बालकृष्ण को लेकर गोपीपिन्ति अल्लाडु के रूप में पुनर्निर्मित किया गया था।
राजेश मल्होत्रा (गोविन्दा) एक धनी व्यापारी धनराज मल्होत्रा (कादर ख़ान) का पुत्र है। वह अपने घर पर खुश नहीं है क्योंकि उसके पिता उसे अपना जीवन मन-मुताबिक जीने नहीं देते हैं। वह अपने घर से निकलता है और यूरोप पहुंचता है। मीना (करिश्मा कपूर) दीनानाथ (परेश रावल) की पोती है और उसने यूरोप में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति हासिल की है। वह अपनी बुआ शन्नो (हिमानी शिवपुरी) के साथ यूरोप यात्रा करती है। राजेश और मीना मिलते हैं और प्यार में पड़ते हैं। धनराज मल्होत्रा अपने बेटे की तलाश में सहायक शर्मा (राकेश बेदी) के साथ यूरोप पहुँचते हैं और उन्हें पता चलता है कि उसके बेटे को प्यार हो गया है। वे भारत लौटते हैं ताकि राजेश और मीना शादी कर सकें।
दीनानाथ के घर में एक समस्या है। वे एक संयुक्त परिवार हैं और हाल ही में नौकर बाबू (शक्ति कपूर) भाग गया है। वे अब एक नए नौकर की तलाश में हैं। राजेश ने महसूस किया कि उसके पिता ने दीनानाथ के साथ बैठक में गड़बड़ी की है। इसलिये वह राजू नाम के एक नौकर के रूप में दीनानाथ के घर में काम करता है। उस घर में हर किसी को कुछ समस्या है, जो राजू (गोविंदा) अपने बुद्धि के माध्यम से हल करता है। घर में है दीनानाथ के बड़े बेटे विद्या नाथ (टीकू तलसानिया), दीनानाथ के दूसरे बेटे जीवन (अनिल धवन), छोटा बेटा पप्पी (सतीश शाह), बड़ी बेटी, शन्नो और छोटी पोती, डिंपल।
फिल्म के अंत में, दीनानाथ के घर से कुछ कीमती सामान गायब हो जाता है। पुलिस पहुंचती है और चौकीदार के वेश में धनराज को वहां पाती है। जो कि राजू से मिलने आया था। राजू और धनराज को दीनानाथ के परिवार के सदस्यों द्वारा अपमानित किया जाता है। फिर मीना, राजू की पहचान और उसके किये गए बलिदानों का खुलासा करती है। दीनानाथ को एक-दूसरे के प्रति उनके सच्चे प्यार का एहसास होता है। फिल्म राजेश और मीना की शादी के साथ सुखद अंत के साथ समाप्त होती है।
# | गीत | गायक | बोल | अवधि |
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1 | "मैं पैदल से जा रहा था" | विनोद राठोड़, पूर्णिमा | समीर | 5:38 |
2 | "मैं तुझको भगा लाया" | कुमार सानु, अलका याज्ञिक | समीर | 5:06 |
3 | "सातों जनम तुझको पाते" | कुमार सानु | समीर | 5:20 |
4 | "सोना कितना सोना है" | उदित नारायण, पूर्णिमा | समीर | 4:52 |
5 | "मोहब्बत की नहीं" | उदित नारायण, साधना सरगम | समीर | 5:50 |
6 | "तुम हम पे मरते हो" | विनोद राठोड़, साधना सरगम | समीर | 5:14 |
7 | "यूपी वाल ठुमका लगाओ" | सोनू निगम | समीर | 5:12 |