होक्कु (発句 साहित्य "पद्य आरम्भ करना"?) जापान की परम्परावादी मिलित प्रयास की शृंखलाबद्ध काव्य रचना रेंगा अथवा इसके उत्तरोत्तर रेंकु के शुरुआती छंद को कहा जाता है।[1] मात्सुओ बाशो (1644–1694) के समय से, होक्कु स्वतंत्र कविता के रूप में प्रतीत होने लगी और हाइबुन में भी सम्मिलित होने लगी।