२०१३ के बांग्लादेश के शहबाघ जन आन्दोलन की शुरुवात ५ फ़रवरी २०१३ को ढाका, बांग्लादेश में हुई, जिसमे अब्दुल कादिर मोल्लाह और अतिरिक्त सभी बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम के आरोपित युद्ध अपराधियों के लिए मौत की सज़ा की मांग करी गयी[1],[2] | ५ फ़रवरी २०१३ को बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायलय ने मोल्लाह को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई क्यूंकि वह मुक्ति संग्राम के दौरान नरसंघार, हत्या और बलात्कार (नाबालिक लड़कियों के बलात्कार का भी) का दोषी पाया गया[3]।
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