कर्पुरी ठाकुर Karpoori Thakur | |
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![]() भारतक टिकटमे कर्पुरी ठाकुरक चित्र | |
११हम् बिहारक मुख्यमन्त्री | |
कार्यकाल २२ दिसम्बर १९७० – २ जुन १९७१ | |
पूर्वाधिकारी | दरोगा प्रसाद राय |
उतराधिकारी | भोला पासवान शाषत्री |
कार्यकाल २४ जुन १९७७ – २१ अप्रिल १९७९ | |
पूर्वाधिकारी | जगन्नाथ मिश्रा |
उतराधिकारी | राम सुन्दर दास |
बिहारक दोसर उपमुख्यमन्त्री | |
कार्यकाल ५ मार्च १९६७ | |
मुख्यमन्त्री | माहमाया प्रसाद सिन्हा |
पूर्वाधिकारी | अनुराग नारायण सिन्हा |
उतराधिकारी | सुशील मोदी |
बिहारक शिक्षा मन्त्री | |
कार्यकाल ५ मार्च १९६७ – ३१ जनवरी १९६८ | |
पूर्वाधिकारी | सत्यनारायण सिन्हा |
उतराधिकारी | सतीश प्रसाद सिंह |
व्यैक्तिक विवरण | |
जन्म | समस्तीपुर, भारत | २४ जनवरी १९२४
मृत्यु | १७ फरबरी १९८८ पटना, बिहार, भारत | (६४ वर्ष)
राजनैतिक दल | समाजवादी पार्टी, भारतीय क्रान्ति दल, जनता पार्टी, लोकदल |
पेशा | स्वतन्त्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ |
कर्पुरी ठाकुर भारतक बिहार राज्यकेँ एक भारतीय राजनीतिज्ञ छल, जे जननायकक रूपमें लोकप्रिय छल। ओ दिसम्बर १९७० सँ जून १९७१ धरि (समाजवादी पार्टी / भारतीय क्रान्ति दल) आ दिसम्बर १९७७ सँ अप्रिल १९७९ (जनता पार्टी)क प्रिनिधित्व करैत बिहारक मुख्यमन्त्रीक रूपमे काज केनए छल। [१] २०२४ मे कपूर ठाकुर केँ भारत रत्न देल जाएत। राष्ट्रपति कार्यालय एहि संबंध मे एक बयान जारी करि जानकारी देलनि अछि। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीक अनुशंसा पर राष्ट्रपति जननायक कर्पूरी ठाकुर केँ भारत रत्न प्रदान करबाक घोषणा केने छथि। [२]
कर्पूरी ठाकुरक जन्म भारतमे ब्रिटिश शासनकालमे समस्तीपुर जिलाक पितौंझिया गाममे, जे आब 'कर्पूरीग्राम' कहल जाइत अछि, नाई जातिमे भेल छल[३] हुनक पिताक नाम श्री गोकुल ठाकुर आ माताक नाम श्रीमती रामदुलारी देवी छल । हिनकर पिता गामक सीमांत किसान छल आ अपन परम्परागत पेशा केश कटाबै के काज करैत छल।
सन् १९६७ मे ठाकुर बिहारक मुख्यमन्त्री बनबाक मौका नहि भेटलनि। १९७२ मे, ओ ताजपुरसँ विधानसभामे पद प्राप्त केलक। हुनकर राजनीतिक यात्रा जारी रहल, आ १९८५ मे, ओ सोनबरसासँ विधानसभामे निर्वाचित भेल, अन्ततः विपक्षक नेता बनल।[३]
मुख्यमंत्री रहलापर ओ पिछड़ल सभकेँ १२ प्रतिशत आरक्षण मुंगेरी लाल आयोगक अधीन देलनि आ १९७८ मे ई आरक्षण देलनि जाहिमे ७९ जाति छल।[४][५] पिछड़ा वर्गक लेल १२ प्रतिशत आ अति पिछड़ा वर्गक लेल ०८ प्रतिशत.[६][७] [८][९]
१९४० मे पटना विश्वविद्यालयसँ मैट्रिकक परीक्षा द्वितीय श्रेणीमे पास केलक । १९४२ क भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू भेल त' ओकरा मे छलांग लगाओल गेल। फलस्वरूप भागलपुर के कैंप जेल मे २६ महिना तक जेल-तर्क भोगलाक बाद १९४५ मे रिहा भेल । १९४८ मे आचार्य नरेन्द्रदेव आ जयप्रकाश नारायणक समाजवादी दलमे प्रादेशिक मंत्री बनल । सन् १९६७ क आम चुनाव मे, संयुक्त समाजवादी पार्टी (संसोपा) केर नेतृत्वमे कर्पूरी ठाकुर प्रमुख शक्तिक रूपमे उभरल । सन् १९७० मे ओ बिहारक मुख्यमन्त्री बनल । १९७३ - ७७ मे ओ लोकनायक जयप्रकाश नारायणक छात्र-आन्दोलनसँ जुड़ल । १९७७ मे समस्तीपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रसँ सांसद बनल । २४ जून, १९७७ कें पुनः मुख्यमंत्री बनल। फेर १९८० मे मध्यावधि चुनाव भेल तँ कर्पूरी ठाकुरक नेतृत्वमे लोक दल बिहार विधानसभामे मुख्य विपक्षी दलक रूपमे उभरि गेल आ कर्पूरी ठाकुर नेता बनल ।
करपुरी ठाकुर दूरदर्शी होएबाक संग-संग एक ओजस्वी वक्ता सेहो छलाह। आज़ादीक समय पटनाक कृष्णा टॉकीज हॉलमे छात्रसभक सभाकेँ सम्बोधित करैत एक क्रांतिकारी भाषण देलनि जे "हमरासभक देशक जनसंख्या एतेक बेसी अछि जे मात्र थूक फेकलासँ अंग्रेज राज समाप्त भऽ जाएत"। एहि भाषणक कारणे हुनका दण्ड सेहो भेटबाक छलनि।
ओ देशवासीकेँ अपन अधिकारकेँ जानबाक लेल सदैव जागृत करैत रहलाह, ओ कहैत रहलाह -
"संसद के विशेषाधिकार बरकरार रहए, अक्षुण्ण रहए, आवश्यकताक अनुसार बढ़ैत रहए। मुदा जनताक अधिकार सेहो। जँ जनताक अधिकारकेँ कुचलित कएल जाएत तँ जनता संसदक विशेषाधिकारकेँ चुनौती देत। "
करपुरी ठाकुरक प्रसिद्ध नारा छल...
ईहो-