बर्बरीक ,घटोत्कच (भीमकें पुत्र) आ दैत्य मूरक बेटी राजकुमारी मौरवी केर पुत्र छल, मुद्दा अन्य सन्दर्भसभमें कहल गेल अछि जे ओ दक्षिणकें एकटा योद्धा छल।[१] ओ महाभारतक प्रमुख शक्तिशाली योद्धासभमें सँ एकटा छल जे किछ ही मिनटमें युद्ध के पूरे परिदृश्यकें बदलि सकैत छल। ओ देवी दुर्गा आ भगवान शिवकें भक्त छल। समन्वयवाद बर्बरीक मूल रूपसँ एकटा यक्ष छल, जे एकटा मानवक रूपमें पुनर्जन्म लेने छल। ओ हरबखत कमजोर पक्षक दिसनसँ लडि करि कें अपन सिद्धान्तसँ बान्हल छल, जाहि कारण हुनका बिना भाग लेने भी कुरुक्षेत्र युद्धकें साक्षी बन पडल।
नेपालमें किराती राजा यलम्बरकें महाभारतक बर्बरीक, घटोत्कचक पुत्र आ भीमकें पोता मानल जाईत अछि। बर्बरीककें महाभारतक युद्धमें मरि जेबाक संदिग्ध सम्मान मिलल, जाहिमें देवता आ मनुष्य एक-दोसर के सँगे युद्ध केने छल। किम्बदन्ती हुनका स्वर्गक स्वामी इन्द्रसँ मिल के श्रेय दैत अछि, जे मानव भेषमें उपत्यकामें आएल छल, जखन कि काठमाडौँ उपत्यकाकें मूल निवासी हिनका आकाश भैरवक रूपमें चित्रित करैत अछि।[२]
राजस्थानमें, खाटू श्याम मन्दिरमें बर्बरीककें खाटू श्याम केर रूपमें पूजल जाईत अछि,[३] आ गुजरातमें, हिनका बलियादेव केर रूपमें पूजल जाईत अछि आ मानल जाईत अछि जे महाभारत युद्धसँ पहिने हिनक दादा पाण्डवसभ केर जीत सुनिश्चित करबाक लेल हिनक बलिदान देल गेल छल। हिनक बलिदानक बदलामें, हिनका कृष्णद्वारा देवता बनाएल गेल छल।
- बर्बरीक : खाटूश्यामजी केर बचपन कें नाम बर्बरीक छल। कृष्णद्वारा देल गेल श्याम नामसँ पहिने हिनक माँ आ कर-कुटुम्बसभ हिनका एही नामसँ बजाबैत छल।
- शीश के दानी: शाब्दिक अर्थ: "सिर कें दान केनिहार"; उपरोक्त सम्बन्धित कथाक अनुसार।
- हारे का सहारा: शाब्दिक अर्थ: "सभ चीज हारि गेल मानवक समर्थन करबला"; अपन माँ केर सल्लाहकें पश्चात बर्बरीक निश्चय केलक जे जेकरा लग शक्ति कम अछि आ ओ हारि रहल अछि, ओकर ओ समर्थन करत। एही लेल हिनका ई नामसँ जानल जाईत अछि। एहीसँ एकटा लोकप्रिय कविता सेहो प्रकाशमें आएल अछि जे प्रायः कठिन समयसँ गुजर रहल लोकसभद्वारा गाओल जाईत अछि: हारे का सहारा, खाटूश्याम हमारा [ हमसभ उदासी में छी, मुद्दा हमरासभकें चिन्ता नहि केना चाही; खाटूश्याम हमरासभक साथमें अछि ! ]
- तीन वाण धारी: शाब्दिक अर्थ: "तीनटा वाण धारक"; सन्दर्भ ओ तीनटा अचूक तीरसभक अछि जे हिनका देवी कामाख्यासँ वरदानक रूपमें प्राप्त भेल छल। ई वाण पूरा दुनियाकें बर्बाद करबाक लेल प्रशस्त छल। ई तीन वाणक नीचा शीर्षक लिखल अछि " माम् सेव्यम् पराजितः "।
- लख-दातारी: शाब्दिक अर्थ: "परोपकारी दाता"; जे अपन भक्तसभक ओसभक जरूरतकें सभ चीज देबाक आ माँगे सँ कखनो नहि हिचकिचावे।
- लीला के असवार: शाब्दिक अर्थ: "लीला कें सवार"; ई हिनक नील रंगक घोडा केर नाम अछि। कतेक लोक ई नील घोडा या "नीला घोडा" कहैत अछि।
- खाटू नरेश: शाब्दिक अर्थ: "खाटू कें राजा"; ओ जे खाटू (राजस्थान, गुजरात) राज केलक आ पूरा ब्रह्माण्ड पर।
- कलयुग के अवतार: शाब्दिक अर्थ: "कलियुग के भगवान"; कृष्ण कें अनुसार ओ भगवान होएत जे कलियुगमें बढियाँ लोकसभ केर बचाएत।
- श्याम प्यारे: शाब्दिक अर्थ: "प्रिय श्याम"
- बलिया देव: शाब्दिक अर्थ: "ओ देवता जे अपन बलिदान देलक"; गुजरातक अहमदाबादकें वासना स्थित मन्दिरमें नवजात बच्चासभकें आशीर्वाद देल जाईत अछि।
- मोरछडी वाला: शाब्दिक अर्थ: "मजुर पङ्खसँ बनल छडी केर धारण कर बला"
- श्याम बाबा : मारवाडी समाजक बीचमें प्रचलित नाम।
- बारिश का देवता: शाब्दिक अर्थ: "वर्षा केर देवता"; जे वर्षाकें अपन इच्छानुसार नियन्त्रित करैत अछि। हिमाचल प्रदेश केर मण्डी में कमरूनाग मन्दिरक प्रचलित नाम।
- यलम्बर: यलम्बर एकटा किरात योद्धा आ नेपालमें किरात साम्राज्यक पहिल राजा छल।
- आकाश भैरव: शाब्दिक अर्थ: "आकाशक देवता"; भगवान शिवक अनेकौं खतरनाक भैरव रूपसभमें सँ एकटा।
- सावा भक्कु देवा: शाब्दिक अर्थ: "आकाशक संरक्षक"; काठमाडौँ में लिच्छवी समुदायक बीचमें प्रचलित नाम
- वंगा द्या: शाब्दिक अर्थ: "आकाश केर सुरक्षा कर बला देवता"; पहिल (वंश) पैतृक नेपालमें रहल किरात लोकसभक राजा।
- हतु द्याह: शाब्दिक अर्थ: "शुद्ध दारु देब बला भगवान"; जे आशीर्वादक रूपमें दारु दैत अछि, नेवारी भाषामें प्रचलित नाम।
- अजु द्याह: शाब्दिक अर्थ: "पैतृक देवता"; साधारण रुपसँ नेपाल के महर्जन समुदायक पूर्वज कें रूपमें जानल जाईत अछि।