शैलजा आचार्य Shailaja Acharya | |
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शैलजा आचार्य | |
जन्म | १९४४ |
मृत्यु | १२ जुन २००९ |
राष्ट्रियता | नेपाली |
व्यवसाय | एक्टिभिस्ट, नेता, कुटनीतिज्ञ |
राजनीतिक दल | नेपाली काँग्रेस |
सम्बन्धी |
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पुरस्कार | महा उज्ज्वल राष्ट्रदीप |
नेपाली काँग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष | |
Member of the House of Representatives | |
कार्यकाल १९९१–१९९४ | |
निर्वाचन क्षेत्र | मोरङ-५ |
Member of the House of Representatives | |
कार्यकाल १९९४–१९९९ | |
निर्वाचन क्षेत्र | मोरङ |
Minister of Agriculture and forests | |
कार्यकाल १९९१–१९९३ | |
शासक | राजा वीरेन्द्र |
प्रधानमन्त्री | गिरिजाप्रसाद कोइराला[१] |
Minister of Water Resources | |
कार्यकाल १९९७–१९९८ | |
शासक | राजा वीरेन्द्र |
नेपालक उप-प्रधानमन्त्री | |
कार्यकाल १५ अप्रिल १९९८[१] – १९९८ | |
शासक | राजा वीरेन्द्र |
प्रधानमन्त्री | Girija Prasad Koirala[१] |
भारतक लेल नेपाल के राजदुत | |
कार्यकाल २००७ | |
पूर्वाधिकारी | कर्ण धोज अधिकारी |
शैलजा आचार्य एकटा नेपाली क्रान्तिकारी, राजनीतिज्ञ आ राजनयिक छल। ओ पहिल नेपाली महिला जल संसाधन मन्त्री छल आ पहिल नेपाली महिला उपप्रधानमन्त्री छल।
प्रभावशाली कोइराला परिवार के एक सदस्य तथा एकटा छात्र के रूप में सक्रिय राजनीति में प्रवेश केलक आ तीन साल धरि एकटा किशोरी के रूप में राजनीतिक कैदी रहल छल, ओ लोकतान्त्रिक तरिका सँ सन् १९६१ में निर्वाचित सरकार आ राजतन्त्र के विरुद्ध उलट-पलट के विरोध में राजा महेन्द्र के काला झण्डा देखौने छल। रिहाई के पश्चात, ओ भारत में आत्म-निर्वासन में चलि गेल, जतय ओ भारतीय नेतासभ सँगे, विशेष रूप सँ चन्द्रशेखर के सँगे घनिष्ठ मित्रता निर्वाह केलक, जखन कि ओ पञ्चायत प्रणाली के विरुद्ध लोकतान्त्रिक संघर्ष के आगा बढौने छल। ओ एकटा सम्भावित सशस्त्र संघर्षक लेल युवा आन्दोलन के संगठित करवाक आ हतियारसभक तस्करी करवाक आ राजनीतिक जागरूकता बढावे के लेल एकटा पेपर प्रकाशित करवाक में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह केनए छल। ओ बी.पी. कोइराला के सँगे जखन नेपाल फिर्ता भेल छल आ ओ पहुँच जाए पर हुनका तुरन्त गिरफ्तार करि लेल गेल। ओ पञ्चायत शासन के समय में कुल पाँच साल जेल में बितौने छल।
लोकतन्त्र के बहाली पश्चात, आचार्य सन् १९९१ आ सन् १९९४ में दुई बेर संसदक लेल निर्वाचित भेल। सन् १९९१ आ सन् १९९३ के बीच में, ओ कृषि मन्त्री छल, सरकार होए वाला में भ्रष्टाचार के विरोध में ओ इस्तीफा दऽ देनए छल। सन् १९९७ में, ओ जल संसाधनक लेल पहिल महिला मन्त्री बनल छल आ सन् १९९८ में, ओ पहिल महिला उप-प्रधानमन्त्री बनल छल। राजा ज्ञानेन्द्र लोकतन्त्र के एकटा अन्य हेरफेर में निलम्बित करि देलाक पश्चात्, अपन पार्टीक स्थिति के रक्षा में, सार्वजनिक रूप सँ संवैधानिक राजतन्त्र के समर्थन करनाए जारी रखने छल। हुनका सन् २००७ में भारत में राजदूत नियुक्त कएल गेल छल।
आचार्य के सन् २००७ में अल्जाइमर रोग लागि गेल बात पता चलल् छल। १२ जून २००९ में काठमाण्डौ में निमोनिया सँ हुनकर मृत्यु भ गेल छल। हुनका अपन राजसी पदसभ, छोट उमर में अत्याचारसभ सँ रक्षा, लोकतन्त्र के लडाई में हुनकर भूमिका आ हुनकर परोपकारी गतिविधिसभक लेल आइ यो याद कएल जाइत् अछि। हुनका सन् २०१४ में नेपाल सरकारद्वारा महा उज्जवल राष्ट्रदीप सँ सम्मानित कएल गेल छल।[२]