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थाट | खमाज | |||
प्रकार | हिंदुस्तानी | |||
जाती | षाडव संपूर्ण | |||
स्वर | ||||
आरोह | सा रे ग' रे सा रे ग म प नि सां | |||
अवरोह | सां नि' ध प ध म ग रे ग' रे सा | |||
वादी स्वर | रे | |||
संवादी स्वर | प | |||
पकड | ||||
गायन समय | पूर्वरात्र | |||
गायन ऋतू | ||||
समप्रकृतिक राग | ||||
उदाहरण | गुरू सुरस गोकुळी राधिका मिरवली नाटक - स्वयंवर गायक पं राम मराठे | |||
इतर वैशिष्ट्ये | (वरील चौकटीत स्वरानंतर आलेले ' हे चिन्ह कोमल स्वर दर्शविते. तार सप्तकातील स्वरावर टिंब दिले आहे ) |
राग जयजयवंती हा हिंदुस्तानी संगीतातील एक प्राचीन राग असून प्राचीन ग्रंथातही त्याचा उल्लेख आढळतो.[१] जयावंती, जयजयंती, जयंती, वैजयंती अशी त्याची इतरही पूर्वीची नावे आहेत. ह्या रागात दोन गंधार (ग ) व दोन निषाद (नि ) यांचा उपयोग केला जातो.
हा राग बिलावल आणि सोरथ या दोन रागांचे मिश्रण आहे असे ही म्हणतात.
राग जयजयवंती रात्रीच्या पहिल्या प्रहार दरम्यान सायंकाळ सहा ते नऊ वाजेपर्यंत गायले जातो.
रे गा (कोमल) रे सा, रे गा (शुद्ध), म प धा प, नि सा.
सा नि (कोमल) धा पा, धा म गा रे, रे गा (कोमल) रे सा.
रे ग कोमल रे सा (मंद्र सप्तक) नि (शुद्ध) सा धा नी रे
कर्नाटक परंपरेत आणि यक्षगान नाट्यपरंपरेत याला द्विजवंती म्हणूनही ओळखले जाते .
गाणे | चित्रपट | संगितकार | गायक |
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"Enathullamae" | Meera | S. V. Venkatraman | M. S. Subbulakshmi |
"Amutha Tamizhil" | Madhuraiyai Meetta Sundharapandiyan | M. S. Viswanathan | P. Jayachandran, Vani Jairam |
"Anbae Sughama (Sahana Traces)" | Paarthale Paravasam | A. R. Rahman | Srinivas, Sadhana Sargam |
"Mannapenin Sathiyam" | Kochadaiiyaan | Haricharan, Latha Rajinikanth | |
"Mazhai Mega Vanna" (Charanam only) | Desam | K. S. Chitra, Srinivas | |
"Mouname Paarvayai" | Anbe Sivam | Vidyasagar | S. P. Balasubrahmanyam,Chandrayee |
"Poi Solla Kudathu" | Run | Hariharan | |
"Mukundha Mukundha"(Ragam Kapi toches also) | Dasavathaaram | Himesh Reshammiya | Sadhana Sargamam |
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