वसंत कानेटकर | |
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जन्म नाव | वसंत शंकर कानेटकर |
जन्म |
मार्च २०, इ.स. १९२२ रहिमतपूर जि .सातारा |
मृत्यू |
जानेवारी ३१, इ.स. २००१ नाशिक |
राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
कार्यक्षेत्र | नाटककार, लेखक |
भाषा | मराठी |
साहित्य प्रकार | नाटके, कादंबऱ्या |
विषय | मराठी |
वडील | शंकर केशव कानेटकर (कवी गिरीश ) |
प्रा. वसंत शंकर कानेटकर (जन्म : रहिमतपूर, सातारा जिल्हा, महाराष्ट्र, २० मार्च १९२२; - ३१ जानेवारी २००१) हे मराठी नाटककार होते.
कानेटकरांचा जन्म मार्च २०, इ.स. १९२२ रोजी सातारा जिल्ह्यातील रहिमतपूर येथे झाला. मराठी भाषेतील कवी गिरीश त्यांचे वडील होते. नाटककार प्रा. वसंत कानेटकर यांचे अखेरपर्यंत वास्तव्य नाशिक येथील ‘शिवाई’ बंगला येथे होते. गोखले एज्युकेशन सोसायटीच्या एच.पी.टी. महाविद्यालयात (हंसराज प्रागजी ठाकरसी महाविद्यालयात) ते प्राध्यापक होते.[१]
कानेटकरांनी ४३ नाटके व ४ कादंबऱ्या लिहिल्या. त्यांची नाटके व्यावसायिकदृष्ट्या खूप यशस्वी झाली.
नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
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अखेरचा सवाल | नाटक | ||
अश्रूंची झाली फुले | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
आकाशमिठी | परचुरे प्रकाशन | ||
आनंदीबाई आणीबाणी पुकारतात | एकांकिका | मनोरमा प्रकाशन | |
इथे ओशाळला मृत्यू | नाटक | ||
एक रूप- अनेक रंग | नाटक | ||
कधीतरी कोठेतरी | नाटक | ||
कवी आणि कवित्व | धी गोवा हिंदू असोसिएशन | ||
कस्तुरीमृग | नाटक | ||
गगनभेदी | नाटक | ||
गरुडझेप | नाटक | सहलेखक रणजित देसाई | मेहता प्रकाशन |
गाठ आहे माझ्याशी | नाटक | ||
गोष्ट जन्मांतरीची | नाटक | पॉपुलर प्रकाशन | |
छू मंतर | नाटक | मजेस्टिक प्रकाशन, पॉपुलर प्रकाशन | |
झेंडे पाटील महाविद्यालयात गंगू, अंबू, विठा | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
जिथे गवतास भाले फुटतात | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
तुझा तू वाढवी राजा | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
तू तर चाफेकळी | नाटक | ||
देवांचे मनोराज्य | नाटक | ||
दोन ध्रुवांवर दोघे आपण | नाटक | ||
नलदमयंती | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
पंखांना ओढ पावलांची | नाटक | काँटिनेंटल प्रकाशन | |
प्रिय आईस | नाटक | ||
प्रेमाच्या गावा जावे | नाटक | पॉपुलर प्रकाशन | |
प्रेमात सगळंच माफ ! | नाटक | मेहता प्रकाशन | |
प्रेमा तुझा रंग कसा | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
फक्त एकच कारण | नाटक | ||
बेइमान | नाटक | ||
मत्स्यगंधा | नाटक | ||
मदनबाधा | नाटक | ||
मद्राशीने केला मराठी भ्रतार | एकांकिका | पॉप्युलर प्रकाशन | |
मला काही सांगायचंय | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
माणसाला डंख मातीचा | नाटक | ||
मास्तर एके मास्तर | नाटक | ||
मीरा...मधुरा | नाटक | ||
मोहिनी | नाटक | ||
रंग उमलत्या मनाचे | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
रायगडाला जेव्हा जाग येते | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
लेकुरे उदंड झाली | नाटक | ||
वादळ माणसाळतंय | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
विषवृक्षाची छाया | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन | |
वेड्याचं घर उन्हात | नाटक | ||
शहाण्याला मार शब्दांचा | एकांकिका | परचुरे प्रकाशन | |
शिवशाहीचा शोध | परचुरे प्रकाशन | ||
सुख पाहता | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
सूर्याची पिल्ले | नाटक | ||
सोनचाफा | नाटक | परचुरे प्रकाशन | |
हिमालयाची सावली | नाटक | पॉप्युलर प्रकाशन |
वसंत कानेटकरांनी हिराबाई पेडणेकर यांच्या जीवनावर कस्तुरीमृग, बाबा आमटे यांच्या जीवनावर वादळ माणसाळतंय, इतिहासाचार्य वि.का. राजवाडे यांच्या जीवनावर विषवृक्षाची छाया आणि महर्षी कर्वे आणि बायो यांच्या जीवनावर हिमालयाची सावली ही नाटके लिहिली.
वसंत कानेटकर यांच्या नावाने रंगत-संगत प्रतिष्ठानतर्फे वसंत कानेटकर स्मृति पुरस्कार दिला जातो.