मन्वन्तर, मनु, हिन्दू धर्म अनुसार, मानवताको प्रजनकको आयु हुन्छ। यो समय मापनको खगोलीय अवधि हो। मन्वन्तर एक संस्कृत शब्द हो, जसको संधि-विच्छेद गर्दा मनु+अन्तर = मन्वन्तर मिलेर बन्दछ। यसको अर्थ मनुको आयु हुन्छ।
मन्वन्तर | मनु | सप्तर्षि | विशिष्ट व्यक्तित्व |
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प्रथम | स्वायम्भु मनु | मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलह, कृतु, पुलस्त्य तथा वशिष्ठ[१][२]. | प्रियव्रत, ऋषभदेव, भरत, जड़भरत, प्रह्लाद, भगवन कपिल[३]. |
द्वितीय | स्वरोचिष मनु | उर्जा, स्तम्भ, प्राण, दत्तोली, ऋषभ, निश्चर एवं अर्वरिवत | |
तृतीय | औत्तमी मनु | वशिष्ठका पुत्र: कौकुनिधि, कुरुनधि, दलय, सांख, प्रवाहित, मित एवं सम्मित | |
चतुर्थ | तामस मनु | ज्योतिर्धाम, पृथु, काव्य, चैत्र, अग्नि, वानक एवं पिवर | |
पंचम | रैवत मनु | हिरण्योर्मा, वेदश्री, ऊर्द्धबाहु, वेदबाहु, सुधामन, पर्जन्य एवं महानुनि | |
षष्टम | चाक्षुष मनु | सुमेधस, हविश्मत, उत्तम, मधु, अभिनमन एवं सहिष्णु | |
(वर्तमान) सप्तम | वैवस्वत मनु | कश्यप ऋषि, अत्रि ऋषि, वशिष्ठ ऋषि, विश्वामित्र ऋषि, गौतम, जमदग्नि ऋषि, भारद्वाज ऋषि | इक्ष्वाकु, मान्धाता, सत्यव्रत (त्रिशंकु ), हरिशचन्द्र, रोहित, सगर, अंशुमान, दिलीप, भगीरथ, खट्वांग, अज, दशरथ, भगवान राम, लव तथा कुश, भगवान कृष्ण |
अष्टम | सावर्णि मनु | आउने वाला पाठ....विष्णु पुराण: भाग:तृतीय, अध्याय:द्वितीय | |
नवम | दक्ष सावर्णि मनु | भविष्यको सप्तर्षि | |
दशम | ब्रह्म सावर्णि मनु | भविष्यको सप्तर्षि | |
एकादश | धर्म सावर्णि मनु | भविष्यको सप्तर्षि | |
द्वादश | रुद्र सावर्णि मनु | भविष्यको सप्तर्षि | |
त्रयोदश | रौच्य वा देव सावर्णि मनु | भविष्यको सप्तर्षि | |
चतुर्दश | भौत वा इन्द्र सावर्णि मनु | भविष्यको सप्तर्षि |
अवधि | दिव्य वर्ष | सौर्य वर्ष | |
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कल्प | १,२०,००,००० | ४,३२,००,००,००० | |
आधि सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
१ | स्वयम्भू मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
२ | स्वरोचिष मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
३ | औत्तमी मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
४ | तपस/तामस मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
५ | रैवत मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
६ | चाक्षुष मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
७ | वैवस्वत मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
चतुर्युग १ देखि २७ | ३,२४,००० | ११,६६,४०,००० | |
चतुर्युग २८ (वर्तमान) | ३,२४,००० | ४३,२०,००० | |
सत्य युग | ४,८०० | १७,२८,००० | |
त्रेता युग | ३,६०० | १२,९६,००० | |
द्वापर युग | २,४०० | ८,६४,००० | |
कलि युग | १,२०० | ४,३२,००० | |
चतुर्युग २९ देखि ७१ | ५,१६,००० | १८,५७,६०,००० | |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
८ | सावार्णि मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
९ | दक्ष सावार्णि मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
१० | ब्रह्म सावार्णि मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
११ | धर्म सावार्णि मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
१२ | रुद्र सावार्णि मन्वन्तर | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
१३ | रौच्य वा देव सावार्णि मन्वन् | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० | |
१४ | भौत वा इन्द्र सावार्णि मन्व | ८,५२,००० | ३०,६७,२०,००० |
मन्वन्तर सन्ध्या | ४,८०० | १७,२८,००० |
हरेक मन्वन्तर ३०,६७,२०,००० साल (८,५२,००० दिव्य वर्ष; १ दिव्य वर्ष = ३६० सौर्य वर्ष) हुन्छ र यहि युग चक्र ७१ पटक चली रहन्छ। एक कल्प (ब्रह्मको एक दिन), जुन ४ अरब ३२ करोड वर्ष (१ करोड २० लाख दिव्य वर्ष वा १,००० युग चक्र) रहन्छ, यसमा १४ मन्वन्तर (१४ x ७१ = ९९४ युग चक्र) हुन्छन जसको अन्तिममा सधै मन्वन्तर सन्ध्या (१५ सन्ध्याहरू) हुन्छन जसको अवधि १,७२,८००० वर्ष (४,८०० दिव्य वर्ष; सत्य युगको अवधि) हुन्छ। हरेक मन्वन्तर सन्ध्याको बेला पृथ्वी (भू लोक पानिको सतहमा दुब्धछ।
हरेक कल्पमा १४ मन्वन्तरहरू र १५ मन्वन्तर सन्ध्याहरू निम्न दियिएको तालिकामा हुन्छन:
वर्तमानको कल्प(ब्रह्मको एक दिन): श्वेतवाराह कल्पमा यी १४ मनुहरूको नाम यस प्रकारको छन्: