नाम्ड्रोल्लिङ | |
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![]() नाम्ड्रोल्लिङको प्रवेश द्वार | |
Tibetan transcription(s) | |
तिब्बती | ཐེག་མཆོག་རྣམ་གྲོལ་བཤད་སྒྲུབ་དར་རྒྱས་གླིང་། |
Wylie transliteration | थेग मछोग र्नम ग्रोल बशद स्ग्रुब दर र्ग्यस ग्लिङ |
मठ जानकारी | |
स्थान | नाम्ड्रोल्लिङ, बैलकुप्पे, मैसूर, कर्नाटक ![]() |
द्वारा स्थापित | पद्म नोर्बु रिन्पोछे |
स्थापित | १९६३ |
किसिम | तिब्बती बौद्ध |
सम्प्रदाय | ञिङमा |
वंश | पल्युल सम्प्रदाय |
प्रमुख लामा | कर्म कुछेन,[१] पल्युल सम्प्रदायको बाह्रौ सिंहासन धारक |
भिक्षुको सङ्ख्या | सन् २००६ सम्ममा ८,८९१ आठ हजार आठ सय एकानब्बे (भिक्षु भिक्षुणी लगायत) |
पर्व | लोसार, ड्रुब्छेन, कमायी ड्रुब्छोद्, सगदावा, वर्षावास, मिफाम वार्षिकोत्सव, लोङ्छेन वार्षिकोत्सव, गुतोर इत्यादि; |
Coordinates: 12°25′49.8″N 75°58′2.53″E / 12.430500°N 75.9673694°E१२°२५′४९.८″उ ७५°५८′२.५३″पू / 12.430500°N 75.9673694°E नाम्ड्रोल्लिङ वा थेग्छोग नाम्ड्रोल शद्ड्रुब दरग्यास लिङ (तिब्बती: ཐེག་མཆོག་རྣམ་གྲོལ་བཤད་སྒྲུབ་དར་རྒྱས་གླིང་།, वयली: theg mchog rnam grol bshad sgrub dar rgyas gling), विश्वमा तिब्बती बौद्ध धर्म अन्तर्गत ञिङमा सम्प्रदायको सबै भन्दा ठूलो शिक्षा केन्द्र मध्ये एक हो। यो शिक्षा केन्द्र दक्षिण भारत, कर्नाटक, मैसूर जिल्ला को बैलकुप्पेमा पर्दछ। यहाँ हजारौं बौद्ध विधार्थीहरूको लागि छात्रावास, शिक्षा केन्द्र, पुस्तालय, अस्पताल, ध्यान केन्द्र इत्यादि रहेको छन्।
यो शिक्षा केन्द्र पल्युल सम्प्रदायको एघारौ सिंहासन धारक पद्म नोर्बु रिन्पोछे द्वारा सन् १९६३ मा स्थापित गरिएको थियो।
यहाँको वार्षिक समारोहमा खस गरी लोसार, ड्रुछेन (आसन्न निधि पारम्परिक महासाधना), गुरु पद्म सम्भवको दिवस, कमयी ड्रुबछेन (दिर्घागम पारम्परिक महासाधना), ...