एरिक पेवरनाजी ( Erik Pevernagie )(जन्म 1939) एक बेल्जियन पेंटर हैं जिन्होंने पेरिस, न्यूयॉर्क, बर्लिन, डिस्सेल्डॉर्फ, एम्स्टर्डम, लंदन, ब्रसेल्स और एंटवर्प में अपनी प्रदर्शनियां आयोजित की हैं।
उनका पालन-पोषण ब्रसेल्स में हुआ है जो दो संस्कृतियों (लातिन और जर्मनी की) का एक अद्भुत मिश्रण है। वे अभिव्यंजनावादी (एक्सप्रेशनिस्ट) पेंटर, लुई पेवरनाजी (1904-1970) के पुत्र और शिष्य थे। इस कलाकार ने अपनी युवावस्था के दिन लीजेंडरी मैनकेन पिस के कदमों में बिताए थे जो कि इस द्विभाषी शहर के प्रतीक हैं। जैसाकि माइकल डी गेल्डेरोड ने वर्णन किया है, वे एक जीवंत, अतियथार्थवादी दुनिया से सराबोर थे। एंग्लो-सैक्सॉन और जर्मनी की सांस्कृतिक विरासत के अपने ज्ञान का विस्तार करने के बाद, वे फ्री यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रसेल्स में जर्मन भाषा-शास्त्र से स्नातकतोत्तर(1961) किया। उन्होंने पूरी दुनिया की यात्रा की, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यूके) से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और एरास्मस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन गए।
एरिक पेवरनाजी हमारे समय के साक्षी बनना चाहते हैं। वे दुनिया का अध्ययन करते हैं और इसका प्रमाण कैनवास पर उतारना चाहते हैं। वे चीजों को उसी रूप में पेंट करते हैं जैसी वे प्रतिदिन उनके सामने प्रकट होते हैं और हमें दिखाते हैं कि उन चीज़ों ने उनकी स्मृति में कैसी छाप छोड़ी है। वे दिखाते हैं कि वे किस प्रकार उनकी कल्पनाओं की भूल-भुलैया में प्रतिक्रिया करती हैं। कलाकार दर्शाता है कि वह चीज़ों को उनके वातावरण में किस प्रकार अनुभव करता है। अधिकांशतः ये अनुभव वास्तविक रूप में परिवर्तित नहीं होते हैं। इसके बजाए, वे रेखाकार और ज्यामितीय कलाकृतियों की ओर आकृष्ट होते हैं।
पेवरनाजी बार-बार हमारी सामूहिक स्मृति के दृश्यों को मूर्त रूप देते हैं। उनके लिए कला एक सामाजिक गतिविधि है। वे कलाकृति को एक कड़ी, एक माध्यम के रूप में देखते हैं। यह सामाजिक प्रभाव पैदा करती है। यह भावनाएं सृजित करती है। इससे भी बढ़कर, कला में बुद्धि और कल्पना को उद्दीप्त करने की शक्ति भी होती है।
कलाकार कहता है कि उसका काम वास्तविक तत्वों से शुरू होता है जो रोजमर्रा की जिंदगी अथवा साधारण "तथ्य विविधताओं" से लिए गए हैं। वे उन्हें चित्रात्मक रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे उन्हें एक विशिष्ट संदर्भ में रखते हैं और तब वे अनेक अर्थ ग्रहण कर लेते हैं। पेवरनाजी के लिए, वास्तविकता उनके काम का शुरूआती बिंदु है, न कि उद्देश्य। तथ्यात्मक तत्व एक पहेली में परिवर्तित हो जाते है जिसमें व्याख्याओं का एक "आंतरिक प्रदेश‘‘ छिप जाता है।
== उद्धरण == "एरिक पेवरनाजी को मुख्यतः अपनी कलाकृतियों में आलंकारिक और सार तत्वों दोनों के मेल के लिए जाना जाता है। एक सरल ज्यामितीय स्केच अथवा "ग्रेफिटी" के साथ शुरू करके, वे राख, रेत अथवा धातु कणों जैसी सामग्रियों से सतहें तैयार करते हैं।" (डवले न्यूयॉर्क)
"व्यक्ति अपनी रचना के दिल में रहता हैः अपने प्राकृतिक वातावरण में एकीकृत व्यक्ति कभी-कभी इसमें समाहित भी हो जाता है। दूसरी तरफ वह इससे इनकार करता नज़र आता है, जैसे कि पेवरनाजी अपनी पेंटिंग्स में ग्रेफिटी को प्रस्तुत करते हैं। ऐसा करके, वे मानव के एकाकीपन, शहरी संरचना में अपने अलगाव का साक्ष्य देते हैं।" (बेनेजट डिक्शनरी ऑफ आर्टिस्ट्स, पेरिस)
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